उदास Poetry (page 14)

ज़रा ज़रा ही सही आश्ना तो मैं भी हूँ

अशफ़ाक़ हुसैन

शायद मिरी निगाह में कोई शिगाफ़ था

अशअर नजमी

शायद मिरी निगाह में कोई शिगाफ़ था

अशअर नजमी

जला जला के दिए पास पास रखते हैं

असग़र मेहदी होश

ये जो शाम ज़र-निगार है

असअ'द बदायुनी

जो लोग रातों को जागते थे

असअ'द बदायुनी

बग़ौर देख रहा है अदा-शनास मुझे

आरज़ू लखनवी

यूँ रूह थी अदम में मिरी बहर-ए-तन उदास

अरशद अली ख़ान क़लक़

क्या कोई दिल लगा के कहे शे'र ऐ 'क़लक़'

अरशद अली ख़ान क़लक़

तू ज़मीं पर है कहकशाँ जैसा

आरिफ़ शफ़ीक़

तुम्हें प्यार है, तो यक़ीन दो,

आरिफ़ इशतियाक़

साँसों में मिल गई तिरी साँसों की बास थी

अनवर सदीद

शब-ए-फ़िराक़ की ज़ुल्मत है ना-गवार मुझे

अनवर साबरी

मैं देख भी न सका मेरे गिर्द क्या गया था

अनवर मसूद

रद्द-ए-अमल

अनवर ख़ान

ये नर्म हाथ मरे हाथ में थमा दीजे

अनवर अंजुम

चला हवस के जहानों की सैर करता हुआ

अंजुम सलीमी

एक सौदा है लज़्ज़त-ए-ग़म है

अंजुम आज़मी

समुंदर आसमान और मैं

अमजद इस्लाम अमजद

हुब्ब-ए-वतन

अल्ताफ़ हुसैन हाली

साल ये कौन सा नया है मुझे

आलोक मिश्रा

मेरे ही आस-पास हो तुम भी

आलोक मिश्रा

आँखों का पूरा शहर ही सैलाब कर गया

आलोक मिश्रा

जंगल भी थे दरिया भी

अली वजदान

दो चराग़

अली सरदार जाफ़री

अब आ गया है जहाँ में तो मुस्कुराता जा

अली सरदार जाफ़री

कम-ज़र्फ़ एहतियात की मंज़िल से आए हैं

अली जव्वाद ज़ैदी

याद इक दरीचा है

अली असग़र अब्बास

लब क्या खुले कि क़ुव्वत-ए-गोयाई छिन गई

अलीम सबा नवेदी

मिरी दस्तरस में है गर क़लम मुझे हुस्न-ए-फ़िक्र-ओ-ख़याल दे

आलमताब तिश्ना

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