समुंदर आसमान और मैं

खुलीं जो आँखें तो सर पे नीला फ़लक तना था

चहार-जानिब सियाह पानी की तुंद मौजों का ग़लग़ला था

हवाएँ चीख़ों को और कराहों को ले के चलती थीं और मिट्टी

की ज़र्द ख़ुश्बू में मौत-मौसम का ज़ाइक़ा था

नज़र मनाज़िर में डूब कर भी मिसाल-ए-शीशा तही थी यानी

गुल-ए-तमाशा नहीं खिला था

हिरास जज़्बों की रहगुज़र में दिल-ए-तअज्जुब-ज़दा अकेला

ख़मोश तन्हा भटक रहा था

कि एक साए की नर्म आहट ने रास्तों का नसीब बदला

कोई तअल्लुक़ के चाँद लहजे में अपने-पन की अदा से बोला

''मिरे मुसाफ़िर उदास मत हो कि अहद-ए-फ़ुर्क़त ही ज़िंदगी है

ये फ़ासलों की ख़लीज राह-ए-विसाल है और तलब निगाहों की रौशनी है

तमाम चीज़ें तुम्हारे मेरे

बदन के रिश्तों का सिलसिला हैं

तुम्हें ख़बर है कि हम समुंदर

और आसमानों की इंतिहा हैं!''

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Samundar Aasman Aur Main In Hindi By Famous Poet Amjad Islam Amjad. Samundar Aasman Aur Main is written by Amjad Islam Amjad. Complete Poem Samundar Aasman Aur Main in Hindi by Amjad Islam Amjad. Download free Samundar Aasman Aur Main Poem for Youth in PDF. Samundar Aasman Aur Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Samundar Aasman Aur Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.