चेन Poetry (page 2)

एक अवामी नज़्म

ज़ाहिद इमरोज़

घर से निकले देर हुई है घर को लौट चलें

ज़ाहिद हसन चुग़ताई

वो महफ़िलें वो मिस्र के बाज़ार क्या हुए

ज़हीर काश्मीरी

इस दौर-ए-आफ़ियत में ये क्या हो गया हमें

ज़हीर काश्मीरी

आँधियाँ उट्ठीं फ़ज़ाएँ दूर तक कजला गईं

ज़हीर काश्मीरी

ऐसे लम्हे पर हमें क़ुर्बान हो जाना पड़ा

ज़हीर ग़ाज़ीपुरी

वाँ तबीअत दम-ए-तक़रीर बिगड़ जाती है

ज़हीर देहलवी

ग़ुरूर-ओ-नाज़-ओ-तकब्बुर के दिन तो कब के गए

ज़हीर अहमद ज़हीर

ख़ुश-गुमाँ हर आसरा बे-आसरा साबित हुआ

ज़फ़र मुरादाबादी

कभी दुआ तो कभी बद-दुआ से लड़ते हुए

ज़फ़र मुरादाबादी

बढ़े कुछ और किसी इल्तिजा से कम न हुए

ज़फ़र मुरादाबादी

मैं बिखर जाऊँगा ज़ंजीर की कड़ियों की तरह

ज़फ़र इक़बाल

रह रह के ज़बानी कभी तहरीर से हम ने

ज़फ़र इक़बाल

खींच लाई है यहाँ लज़्ज़त-ए-आज़ार मुझे

ज़फ़र इक़बाल

बिखर बिखर गए अल्फ़ाज़ से अदा न हुए

ज़फ़र इक़बाल

तू ने क्यूँ हम से तवक़्क़ो न मुसाफ़िर रक्खी

ज़फ़र अज्मी

ख़बर

यूसुफ़ ज़फ़र

हर लहज़ा मिरी ज़ीस्त मुझे बार-ए-गराँ है

यूसुफ़ तक़ी

कितने पेच-ओ-ताब में ज़ंजीर होना है मुझे

यूसुफ़ हसन

क़ैद-ए-उल्फ़त का मज़ा ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर में है

यूनुस ग़ाज़ी

तेरी आँखों से मिली जुम्बिश मिरी तहरीर को

योगेन्द्र बहल तिश्ना

एक इक हर्फ़ समेटो मुझे तहरीर करो

यासमीन हमीद

ज़ेहन का कुछ मुंतशिर तो हाल का ख़स्ता रहा

यासीन अफ़ज़ाल

दरून-ए-हल्का-ए-ज़ंजीर हूँ मैं

याक़ूब तसव्वुर

सरीर-ए-सल्तनत से आस्तान-ए-यार बेहतर था

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

नहीं मा'लूम अब की साल मय-ख़ाने पे क्या गुज़रा

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

ठोकरें खिलवाईं क्या-क्या पा-ए-बे-ज़ंजीर ने

यगाना चंगेज़ी

बैठा हूँ पाँव तोड़ के तदबीर देखना

यगाना चंगेज़ी

आँख दिखलाने लगा है वो फ़ुसूँ-साज़ मुझे

यगाना चंगेज़ी

महशर का हमें क्या ग़म इस्याँ किसे कहते हैं

वज़ीर अली सबा लखनवी

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