जरूरत Poetry (page 9)

चादर और चार-दीवारी

फ़हमीदा रियाज़

आज पैवंद की ज़रूरत है

फ़हमी बदायूनी

हँसने में रोने की आदत कभी ऐसी तो न थी

एजाज़ उबैद

हुसूल-ए-मक़्सद में आख़िरश यूँ रहेगी क़िस्मत दख़ील कब तक

एहतिशामुल हक़ सिद्दीक़ी

बीमारी की ख़बर

एहतिशाम हुसैन

डर डर के जिसे मैं सुन रहा हूँ

एहतिशाम हुसैन

बात अब आई समझ में कि हक़ीक़त क्या थी

एहसान दरबंगावी

वफ़ा का अहद था दिल को सँभालने के लिए

एहसान दानिश

तमाशा मिरे आगे

दिलावर फ़िगार

'ग़ालिब' को बुरा क्यूँ कहो

दिलावर फ़िगार

चालीस चोर

दिलावर फ़िगार

अहमक़ों की कांफ्रेंस

दिलावर फ़िगार

अक्स मंज़र में पलटने के लिए होता है

दिलावर अली आज़र

अजब कश्मकश है अजब है कशाकश ये क्या बीच में है हमारे तुम्हारे

दीप्ति मिश्रा

अर्सा हुआ किसी ने पुकारा नहीं मुझे

बुशरा हाश्मी

आँखों को अब निगाह की आदत नहीं रही

बुशरा हाश्मी

इस क़दर बढ़ गई वहशत तिरे दीवाने की

बूम मेरठी

रुख़ पे गेसू जो बिखर जाएँगे

बिस्मिल अज़ीमाबादी

है यूँ कि कुछ तो बग़ावत-सिरिश्त हम भी हैं

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

बदन पे ज़ख़्म सजाए लहू लबादा किया

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

लड़ाएँ आँख वो तिरछी नज़र का वार रहने दें

बेख़ुद देहलवी

दोनों ही की जानिब से हो गर अहद-ए-वफ़ा हो

बेख़ुद देहलवी

इक बेवफ़ा को दर्द का दरमाँ बना लिया

बहज़ाद लखनवी

दरिया ने कल जो चुप का लिबादा पहन लिया

बेदिल हैदरी

अल्लाह-रे फ़ैज़ एक जहाँ मुस्तफ़ीद है

बेदम शाह वारसी

बख़्त क्या जाने भला या कि बुरा होता है

बेबाक भोजपुरी

ज़ौक़-ए-उल्फ़त अब भी है राहत का अरमाँ अब भी है

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

ऐसा लगता है मुख़ालिफ़ है ख़ुदाई मेरी

बशीर सैफ़ी

रुख़ तुम्हारा हो जिधर हम भी उधर हो जाएँगे

बशीर महताब

चले जाना मगर सुन लो मिरे दिल में ये हसरत है

बशीर महताब

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