जरूरत Poetry (page 7)

लाख मुझे दोश पे सर चाहिए

राशिद मुफ़्ती

दिल जिस से काँपता है वो साअत भी आएगी

राशिद मुफ़्ती

अजीब ख़्वाहिश

राशिद जमाल फ़ारूक़ी

मैं चोब-ए-ख़ुश्क सही वक़्त का हूँ सहरा में

रशीद निसार

'मीर'-जी से अगर इरादत है

रसा चुग़ताई

हसरत-ए-सिक्का-ए-बख़ील न कर

रम्ज़ अज़ीमाबादी

लिबास उस का अलामत की तरह था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न चारागर की ज़रूरत न कुछ दवा की है

राजेन्द्र कृष्ण

कहीं से मौत को लाओ कि ग़म की रात कटे

राजेन्द्र कृष्ण

ये नहीं पहले तिरी याद से निस्बत कम थी

इक़बाल अशहर

जिला

इंजिला हमेश

वुफ़ूर-ए-हुस्न की लज़्ज़त से टूट जाते हैं

इनाम कबीर

अपने हिस्से में ही आने थे ख़सारे सारे

इमरान-उल-हक़ चौहान

ये ग़लत है ये साल ठीक नहीं

इमरान शमशाद

हमारी मोहब्बत नुमू से निकल कर कली बन गई थी मगर थी नुमू में

इमरान शमशाद

ज़ख़्म अब तक वही सीने में लिए फिरता हूँ

इमरान आमी

बिखर ही जाऊँगा मैं भी हवा उदासी है

इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी

हवादिसात ज़रूरी हैं ज़िंदगी के लिए

इबरत मछलीशहरी

निय्यत अगर ख़राब हुई है हुज़ूर की

हीरा लाल फ़लक देहलवी

ऐसे कुछ लोग भी मिट्टी पे उतारे जाएँ

हस्सान अहमद आवान

तुम्हारे साथ ये झूटे फ़क़ीर रहते हैं

हसनैन आक़िब

मुझे विर्सा नहीं मिला

हमीदा शाहीन

हमारी ही बदौलत आ गई है

हमीद गौहर

पिए जा

हफ़ीज़ जालंधरी

अब तेरी ज़रूरत भी बहुत कम है मिरी जाँ

हबीब जालिब

बिछड़ो तो ये ध्यान रखना

हबीब कैफ़ी

आज उन्हें देख लिया बज़्म में फ़र्ज़ानों की

हबाब तिर्मिज़ी

उस का चेहरा भी चमक में न मिसाली निकला

गुलज़ार बुख़ारी

तिरी उमीदों का साथ देगी इनायत-ए-बर्ग-ओ-बार कब तक

गुलज़ार बुख़ारी

शाम से आँख में नमी सी है

गुलज़ार

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