न चारागर की ज़रूरत न कुछ दवा की है
दुआ को हाथ उठाओ कि ग़म की रात कटे
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उन को ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते
जब जब तुम्हें भुलाया तुम और याद आए
हमें वास्ता तड़प से हमें काम आँसुओं से
कल चमन था आज इक सहरा हुआ
किसे मालूम था इक दिन मोहब्बत बे-ज़बाँ होगी
मुरझा चुका है फिर भी ये दिल फूल ही तो है
मिरी दास्ताँ मुझे ही मिरा दिल सुना के रोए
किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए
ये नाज़ुक लब हैं या आपस में दो लिपटी हुई कलियाँ
किस तरह जीते हैं ये लोग बता दो यारो
न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे