मुरझा चुका है फिर भी ये दिल फूल ही तो है
अब आप की ख़ुशी इसे काँटों में तौलिए
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इक छोटा सा था मेरा आशियाँ
इक मोहब्बत के सिवा और न कुछ माँगा था
उन को ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते
कल चमन था आज इक सहरा हुआ
ये नाज़ुक लब हैं या आपस में दो लिपटी हुई कलियाँ
किस तरह जीते हैं ये लोग बता दो यारो
न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे
हमें वास्ता तड़प से हमें काम आँसुओं से
किसे मालूम था इक दिन मोहब्बत बे-ज़बाँ होगी
कहीं से मौत को लाओ कि ग़म की रात कटे