जब जब तुम्हें भुलाया तुम और याद आए
जाते नहीं हैं दिल से अब तक तुम्हारे साए
तुम से बिछड़ के हम ने दिल को बहुत सँभाला
गुलशन में ये न बहला सहरा में भी सताए
मरने की आरज़ू में हम जी रहे हैं ऐसे
जैसे कि लाश अपनी ख़ुद ही कोई उठाए
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इक मोहब्बत के सिवा और न कुछ माँगा था
न चारागर की ज़रूरत न कुछ दवा की है
किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए
कल चमन था आज इक सहरा हुआ
ये नाज़ुक लब हैं या आपस में दो लिपटी हुई कलियाँ
किसे मालूम था इक दिन मोहब्बत बे-ज़बाँ होगी
न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएँगे
मुरझा चुका है फिर भी ये दिल फूल ही तो है
किस तरह जीते हैं ये लोग बता दो यारो
इक छोटा सा था मेरा आशियाँ
हमें वास्ता तड़प से हमें काम आँसुओं से