आंसू Poetry (page 18)

ये क्या कहा मुझे ओ बद-ज़बाँ बहुत अच्छा

इमदाद अली बहर

वफ़ा में बराबर जिसे तोल लेंगे

इमदाद अली बहर

वफ़ा में बराबर जिसे तोल लेंगे

इमदाद अली बहर

इस तरह ज़ीस्त बसर की कोई पुरसाँ न हुआ

इमदाद अली बहर

हम ख़िज़ाँ की अगर ख़बर रखते

इमदाद अली बहर

ग़ज़ब है देखने में अच्छी सूरत आ ही जाती है

इमदाद अली बहर

गया सब अंदोह अपने दिल का थमे अब आँसू क़रार आया

इमदाद अली बहर

बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का

इमदाद अली बहर

ऐसी कोयल न पपीहे की है प्यारी आवाज़

इमदाद अली बहर

कौन सा तन है कि मिस्ल-ए-रूह इस में तू नहीं

इमाम बख़्श नासिख़

इस क़दर भी तो न जज़्बात पे क़ाबू रक्खो

इफ़्तिख़ार नसीम

हवाएँ अन-पढ़ हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बन-बास

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बद-शुगूनी

इफ़्तिख़ार आरिफ़

नाम को भी न किसी आँख से आँसू निकला

इब्राहीम अश्क

गर्म आँसू और ठंडी आहें मन में क्या क्या मौसम हैं

इब्न-ए-इंशा

पिछले-पहर के सन्नाटे में

इब्न-ए-इंशा

क्या धोका देने आओगी

इब्न-ए-इंशा

कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो

इब्न-ए-इंशा

'इंशा'-जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी को लगाना क्या

इब्न-ए-इंशा

वो दिल जो था किसी के ग़म का महरम हो गया रुस्वा

हुरमतुल इकराम

किसी भी राएगानी से बड़ा है

हुमैरा राहत

कहानी को मुकम्मल जो करे वो बाब उठा लाई

हुमैरा राहत

कभी आहें कभी नाले कभी आँसू निकले

होश तिर्मिज़ी

ये शहर-ए-रफ़ीक़ाँ है दिल-ए-ज़ार सँभल के

हिमायत अली शाएर

कू-ए-जानाँ में नहीं कोई गुज़र की सूरत

हीरा लाल फ़लक देहलवी

उम्र भर बहते हैं ग़म के तुंद-रौ धारों के साथ

हज़ीं लुधियानवी

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है

हसरत मोहानी

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है

हसरत मोहानी

भरे सफ़र में घड़ी-भर का आश्ना न मिला

हसनैन जाफ़री

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