आकाश Poetry (page 2)

बिजली गिरी है कल किसी उजड़े मकान पर

ज़फ़र इक़बाल

जब इतनी जाँ से मोहब्बत बढ़ा के रक्खी थी

ज़फ़र गोरखपुरी

अल-अमाँ कि सूरज है मेरी जान के पीछे

याक़ूब यावर

बाक़ी रहा न फ़र्क़ ज़मीन आसमान में

वज़ीर अली सबा लखनवी

ये मानता हूँ कि सौ बार झूट कहता है

वक़ार ख़ान

सनम ने जब लब-ए-गौहर-फ़शान खोल दिए

वलीउल्लाह मुहिब

देखता कुछ हूँ ध्यान में कुछ है

वलीउल्लाह मुहिब

नायाब है सुकून दिल-ए-बे-क़रार में

वाजिद अली शाह अख़्तर

तुझ में तो एक ख़ू-ए-जफ़ा और हो गई

वहीद इलाहाबादी

मिरी उड़ान अगर मुझ को नीचे आने दे

वहीद अख़्तर

सफ़र ही बाद-ए-सफ़र है तो क्यूँ न घर जाऊँ

वहीद अख़्तर

उस एक शख़्स का कोई पता नहीं मिलता

विशाल खुल्लर

मेरा वहम-ओ-गुमान रहने दे

विशाल खुल्लर

क्या ख़ला आसमान था पहले

विशाल खुल्लर

अब कहाँ दर्द जिस्म-ओ-जान में है

विजय शर्मा अर्श

दूसरी रात

वर्षा गोरछिया

दुआ

वर्षा गोरछिया

पर्वाज़ का था शौक़ मुझे आसमान तक

ताैफ़ीक़ साग़र

हवा रुकी है तो रक़्स-ए-शरर भी ख़त्म हुआ

तारिक़ क़मर

अब आसमान भी कम पड़ रहे हैं उस के लिए

तारिक़ नईम

मैं आ रहा था सितारों पे पाँव धरते हुए

तारिक़ नईम

अहबाब हो गए हैं बहुत मुझ से बद-गुमान

तनवीर सामानी

अदम कथा

तनवीर अंजुम

कभी बहुत है कभी ध्यान तेरा कुछ कम है

तनवीर अंजुम

मकाँ से होगा कभी ला-मकान से होगा

तैमूर हसन

अजब यक़ीन सा उस शख़्स के गुमान में था

ताबिश कमाल

क़ाज़ी के मुँह पे मारी है बोतल शराब की

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

दर्द का आबशार जारी है

सय्यद मुनीर

क़ुर्बानी के बकरे

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

हमारे लिए तो यही है!

सय्यद काशिफ़ रज़ा

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