अन्ना Poetry (page 2)

मौसम को भी 'वक़ार' बदल जाना चाहिए

वक़ार फ़ातमी

सुनो ये ग़म की सियह रात जाने वाली है

वाली आसी

बेचते क्या हो मियाँ आन के बाज़ार के बीच

वाजिद अमीर

क्या बताएँ उस के बिन कैसे ज़िंदगी कर ली

वजीह सानी

अच्छा हुआ कि इश्क़ में बर्बाद हो गए

वजीह सानी

सफ़ा मर्वा

वहीद क़ुरैशी

खंडर आसेब और फूल

वहीद अख़्तर

मैं इंसाँ था ख़ुदा होने से पहले

विशाल खुल्लर

इतना हैरान न हो मेरी अना पर प्यारे

विपुल कुमार

इस ख़राबी की कोई हद है कि मेरे घर से

विपुल कुमार

फ़र्ज़-ए-सुपुर्दगी में तक़ाज़े नहीं हुए

विपुल कुमार

दिल प्यार के रिश्तों से मुकर भी नहीं जाता

वली मदनी

इक ऐसा मरहला-ए-रह-गुज़र भी आता है

उम्मीद फ़ाज़ली

खेल दोनों का चले तीन का दाना न पड़े

उमैर नजमी

जीना है तो जीने की पहली सी अदा माँगो

तुफ़ैल अहमद मदनी

पाँव में लिपटी हुई है सब के ज़ंजीर-ए-अना

तौसीफ़ तबस्सुम

मेरी सूरत साया-ए-दीवार-ओ-दर में कौन है

तौसीफ़ तबस्सुम

मेरी सूरत साया-ए-दीवार-ओ-दर में कौन है

तौसीफ़ तबस्सुम

फूल मुरझा जाएँगे काँटे लगे रह जाएँगे

तसनीम आबिदी

ख़िज़ाँ-नसीबों पे बैन करती हुई हवाएँ

तारिक़ क़मर

लहू को पालते फिरते हैं हम हिना की तरह

तारिक़ मसऊद

वही आहटें दर-ओ-बाम पर वही रत-जगों के अज़ाब हैं

तारिक़ बट

तमाम शहर ही तेरी अदा से क़ाएम है

तालीफ़ हैदर

बेगानगी में यूँही गुज़ारा करेंगे हम

तलअत इशारत

ये लोग करते हैं मंसूब जो बयाँ तुझ से

तैमूर हसन

काग़ज़ पे तेरा नक़्श उतारा नहीं गया

ताहिरा जबीन तारा

गोशे बदल बदल के हर इक रात काट दी

ताहिर फ़राज़

लहरों में भँवर निकलेंगे मेहवर न मिलेगा

तफ़ज़ील अहमद

छोटी पड़ती है अना की चादर

ताबिश देहलवी

'ताबिश' हवस-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार कहाँ तक

ताबिश देहलवी

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