अंधेरे Poetry (page 13)

बुध

आदिल मंसूरी

जीता है सिर्फ़ तेरे लिए कौन मर के देख

आदिल मंसूरी

अब टूटने ही वाला है तन्हाई का हिसार

आदिल मंसूरी

तज्दीद-ए-रिवायात-ए-कुहन करते रहेंगे

अबुल मुजाहिद ज़ाहिद

ये तो नहीं कि बादिया-पैमा न आएगा

अबु मोहम्मद सहर

ज़िंदा आदमी से कलाम

अबरार अहमद

क्या ख़बर कब से प्यासा था सहरा

आबिद आलमी

ये तबस्सुम का उजाला ये निगाहों की सहर

अब्दुर रऊफ़ उरूज

आज यादों ने अजब रंग बिखेरे दिल में

अब्दुर रऊफ़ उरूज

मैं शब-ए-हिज्र क्या करूँ तन्हा

अब्दुल मतीन नियाज़

अपने वहम-ओ-गुमान से निकला

अब्दुल मतीन नियाज़

मिरे दिल में है कि पूछूँ कभी मुर्शिद-ए-मुग़ाँ से

अब्दुल मजीद सालिक

वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम

अब्दुल हमीद अदम

हर परी-वश को ख़ुदा तस्लीम कर लेता हूँ मैं

अब्दुल हमीद अदम

हल्का हल्का सुरूर है साक़ी

अब्दुल हमीद अदम

अरे मय-गुसारो सवेरे सवेरे

अब्दुल हमीद अदम

सोच कर भी क्या जाना जान कर भी क्या पाया

अब्दुल अहद साज़

नज़र आसूदा-काम-ए-रौशनी है

अब्दुल अहद साज़

वो आने वाला नहीं फिर भी आना चाहता है

अब्बास ताबिश

दोस्तों की बज़्म में साग़र उठाए जाएँगे

आज़िम कोहली

दयार-ए-ख़्वाब

आशुफ़्ता चंगेज़ी

बादबाँ खोलेगी और बंद-ए-क़बा ले जाएगी

आशुफ़्ता चंगेज़ी

वो एहतियात के मौसम बदल गए कैसे

आल-ए-अहमद सूरूर

तू पयम्बर सही ये मो'जिज़ा काफ़ी तो नहीं

आल-ए-अहमद सूरूर

शगुफ़्तगी-ए-दिल-ए-वीराँ में आज आ ही गई

आल-ए-अहमद सूरूर

सफ़र तवील सही हासिल-ए-सफ़र क्या था

आल-ए-अहमद सूरूर

लोग तन्हाई का किस दर्जा गिला करते हैं

आल-ए-अहमद सूरूर

जब्र-ए-हालात का तो नाम लिया है तुम ने

आल-ए-अहमद सूरूर

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