अंधेरे Poetry (page 12)

ज़िंदगी होगी मिरी ऐ ग़म-ए-दौराँ इक रोज़

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

रहबर-ए-तब्ल-ओ-निशाँ और ज़रा तेज़ क़दम

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

अजल सराए तीरगी

अकबर हैदराबादी

ख़िलाफ़-ए-शरअ कभी शैख़ थूकता भी नहीं

अकबर इलाहाबादी

गुज़रे जिधर से नूर बिखेरे चले गए

अजीत सिंह हसरत

आँसुओं के रतजगों से

ऐन ताबिश

शीशे शीशे को पैवस्त-ए-जाँ मत करो

अहसन यूसुफ़ ज़ई

अंग अंग झलक उठता है अंगों के दर्पन के बीच

अहसन अहमद अश्क

नए ज़मानों की चाप तो सर पे आ खड़ी थी

अहमद शहरयार

जिन्हें रास आ गए हैं ये सहर-नुमा अँधेरे

अहमद राही

मैं वो शाएर हूँ जो शाहों का सना-ख़्वाँ न हुआ

अहमद नदीम क़ासमी

रात फिर रंग पे थी उस के बदन की ख़ुशबू

अहमद मुश्ताक़

हर एक रंग धनक की मिसाल ऐसा था

अहमद ख़याल

ज़िंदा रहने का तक़ाज़ा नहीं छोड़ा जाता

अहमद कामरान

एक ख़याल

अहमद जावेद

1973 की एक नज़्म

अहमद हमेश

मुँह अँधेरे घर से निकले फिर थे हंगामे बहुत

अहमद हमदानी

तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चराग़

अहमद फ़राज़

सदियों के अँधेरे में उतारा करे कोई

अहमद फ़क़ीह

कोई गुमाँ हूँ कोई यक़ीं हूँ कि मैं नहीं हूँ

अहमद अता

दूर से क्या मुस्कुरा कर देखना

आग़ाज़ बरनी

लुटा रहा हूँ मैं लाल-ओ-गुहर अँधेरे में

अफ़ज़ल इलाहाबादी

देर तक रात अँधेरे में जो मैं ने देखा

आफ़ताब शम्सी

नस्लें जो अँधेरे के महाज़ों पे लड़ी हैं

आफ़ताब इक़बाल शमीम

इस अँधेरे में जो थोड़ी रौशनी मौजूद है

आफ़ताब हुसैन

उन से हर हाल में तुम सिलसिला-जुम्बाँ रखना

अफ़सर माहपुरी

गुज़रे लम्हात का एहसास हुआ जाता है

अफ़रोज़ आलम

गिरते रहे नुजूम अंधेरे की ज़ुल्फ़ से

आदिल मंसूरी

हश्र की सुब्ह दरख़्शाँ हो मक़ाम-ए-महमूद

आदिल मंसूरी

एक नज़्म

आदिल मंसूरी

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