उजागर Poetry (page 6)

तेरी उल्फ़त शोबदा-पर्वाज़ है

बेदम शाह वारसी

यार पहलू में निहाँ था मुझे मा'लूम न था

बयान मेरठी

ज़ाहिर मिरी शिकस्त के आसार भी नहीं

बशीर सैफ़ी

लाख पर्दे से रुख़-ए-अनवर अयाँ हो जाएगा

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

जब अयाँ सुब्ह को वो नूर-ए-मुजस्सम हो जाए

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

असर ज़ुल्फ़ का बरमला हो गया

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

दिल में दिलदार निहाँ था मुझे मा'लूम न था

बाक़र आगाह वेलोरी

ज़रूरतों की हमाहमी में जो राह चलते भी टोकती है वो शाइ'री है

बद्र-ए-आलम ख़लिश

कैफ़ियत-ए-दिल-ए-हज़ीं हम से नहीं बयाँ हुई

बीएस जैन जौहर

इक हम कि उन के वास्ते महव-ए-फ़ुग़ाँ रहे

अज़ीज़ वारसी

शहर को आतिश-ए-रंजिश के धुआँ तक देखूँ

अज़हर हाश्मी

डूब कर ख़ुद में कभी यूँ बे-कराँ हो जाऊँगा

आज़ाद गुलाटी

आइना है ख़याल की हैरत

औरंगज़ेब

वो एक शख़्स कि मंज़िल भी रास्ता भी है

अताउल हक़ क़ासमी

वह एक शख़्स कि मंज़िल भी रास्ता भी है

अताउल हक़ क़ासमी

ख़ाना-ब-दोश

असरार-उल-हक़ मजाज़

बनाई है तिरी तस्वीर मैं ने डरते हुए

आसिम वास्ती

भूल कर तू सारे ग़म अपने चमन में रक़्स कर

अासिफ़ अंजुम

वो पलट के जल्द न आएँगे ये अयाँ है तर्ज़-ए-ख़िराम से

आरज़ू लखनवी

फ़िक्र सोई है सर-ए-शाम जगा दी जाए

अरशद कमाल

ये जी में आता है जल जल के हर ज़माँ नासेह

अरशद अली ख़ान क़लक़

परतव पड़ा जो आरिज़-ए-गुलगून-ए-यार का

अरशद अली ख़ान क़लक़

ये देखें राज़-ए-दिल अब कौन करता है अयाँ पहले

अर्श सहबाई

मेरे प्यारे वतन

अर्श मलसियानी

उम्र-भर का हुआ ज़ियाँ जानाँ

आरिफ़ इशतियाक़

आना भी आने वाले का अफ़्साना हो गया

अनवरी जहाँ बेगम हिजाब

हर साँस में ख़ुद अपने न होने का गुमाँ था

अनवर साबरी

मोहब्बत हो तो बर्क़-ए-जिस्म-ओ-जाँ हो

अनवर देहलवी

देखा जो मर्ग तो मरना ज़ियाँ न था

अनवर देहलवी

अरमाँ को छुपाने से मुसीबत में है जाँ और

आनंद नारायण मुल्ला

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