बाद Poetry (page 6)

मगर वो दीद को आया था बाग़ में गुल के

मोहम्मद रफ़ी सौदा

ज़िंदगी के कटहरे में इक बे-ख़ता आदमी की तरह

सत्तार सय्यद

पस-ए-आइना ख़द-ओ-ख़ाल में कोई और था

सत्तार सय्यद

वक़्त के हाथों हिकायात-ए-अना भूल गए

सरवर आलम राज़

मुंहदिम होती हुई आबादियों में फ़ुर्सत-ए-यक-ख़्वाब होते

सरवत हुसैन

गदा-ए-शहर-ए-आइंदा तही-कासा मिलेगा

सरवत हुसैन

हर इक दिल यहाँ है मोहब्बत से आरी

सरदार सोज़

दर-ए-मय-कदा है खुला हुआ सर-ए-चर्ख़ आज घटा भी है

सरदार सोज़

ब-जुज़ साया तन-ए-लाग़र को मेरे कोई क्या समझे

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

हर नफ़स इक मुस्तक़िल फ़रियाद है

साक़िब कानपुरी

हमारी तबाही में कुछ उस का एहसाँ भी है

साक़ी फ़ारुक़ी

हँस दे तो खिले कलियाँ गुलशन में बहार आए

सलीम रज़ा रीवा

न कोई नाम ओ नसब है न गोश्वारा मिरा

सलीम कौसर

कोई याद ही रख़्त-ए-सफ़र ठहरे कोई राहगुज़र अनजानी हो

सलीम कौसर

बस इक रस्ता है इक आवाज़ और एक साया है

सलीम कौसर

बू-ए-गुल बाद-ए-सबा लाई बहुत देर के बा'द

सलाम संदेलवी

ये अब्र-ओ-बाद ये तूफ़ान ये अँधेरी रात

सलाम मछली शहरी

फूलों के देस चाँद सितारों के शहर में

सलाम मछली शहरी

जाएगी गुलशन तलक उस गुल की आमद की ख़बर

सख़ी लख़नवी

है चमन में रहम गुलचीं को न कुछ सय्याद को

सख़ी लख़नवी

उसे मैं तलाश कहाँ करूँ वो उरूज है मैं ज़वाल हूँ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

हमें चार सम्त की दौड़ में वही गर्द-ए-बाद-ए-सदा मिला

सज्जाद बाक़र रिज़वी

दिल ख़ूँ हुआ है शोख़ी-ए-रंग-ए-हिना के साथ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

बनते रहे हैं दिल में अजब गर्द-बाद से

सज्जाद बाबर

कोई नहीं आता समझाने

सैफ़ुद्दीन सैफ़

हम को मस्ती ओ ख़्वारी आई

साहिर होशियारपुरी

हैं सात ज़मीं के तबक़ और सात हैं अफ़्लाक

साहिर देहल्वी

चश्म-ए-मस्त-ए-साक़ी से दिल हुआ ख़राब-आबाद

साहिर देहल्वी

चार उंसुर से बना है जिस्म-ए-पाक

साहिर देहल्वी

बीम-ओ-रजा में क़ैद हर इक माह-ओ-साल है

सहबा वहीद

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