बाद Poetry (page 3)

इक उम्र हुई और मैं अपने से जुदा हूँ

ताबिश सिद्दीक़ी

नुमू के फ़ैज़ से रंग-ए-चमन निखर सा गया

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

दिल वो काफ़िर कि सदा ऐश का सामाँ माँगे

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

आई बहार शोरिश-तिफ़लाँ को क्या हुआ

ताबाँ अब्दुल हई

जोश पर थीं सिफ़त-ए-अब्र-ए-बहारी आँखें

तअशशुक़ लखनवी

बाग़ में फूलों को रौंद आई सवारी आप की

तअशशुक़ लखनवी

मोहताज नहीं क़ाफ़िला आवाज़-ए-दरा का

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

है आईना-ख़ाने में तिरा ज़ौक़-फ़ज़ा रक़्स

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

न हो तू जिस में वो दिल भी है क्या दिल

सय्यद नज़ीर हसन सख़ा देहलवी

रिवाज-ओ-रस्म का उस को हुनर भी आता है

सय्यद मुनीर

हम से पहले तो कोई यूँ न फिरा आवारा

सय्यद मुनीर

ये कैसी आया-ए-मोजिज़-नुमा निकल आई

सय्यद काशिफ़ रज़ा

मंसब-ए-इश्क़ से कुछ ओहदा-बरा मैं ही हुआ

सय्यद काशिफ़ रज़ा

शगुफ़्ता हो के बैठे थे वो अपने बे-क़रारों में

सय्यद फ़रज़नद अहमद सफ़ीर

है इर्तिबात-शिकन दाएरों में बट जाना

सय्यद अमीन अशरफ़

है इर्तिबात-शिकन दाएरों में बट जाना

सय्यद अमीन अशरफ़

गर्दिश-ए-आब-ओ-हवा जानती है

सय्यद अमीन अशरफ़

शोला-ए-इश्क़ में जो दिल को तपाँ रखते हैं

सय्यद अहमद शमीम

अपना दुनिया से सफ़र ठहरा है

सय्यद अाग़ा अली महर

अपनी मिट्टी है कहाँ की क्या ख़बर बाद-ए-सबा

सुरूर जहानाबादी

दौर-ए-बरहम बे-मअ'नी

सुनील कुमार जश्न

मैं अब्र-ओ-बाद से तूफ़ाँ से सब से डरता हूँ

सुलतान रशक

मुसीबत में भी ग़ैरत-आश्ना ख़ामोश रहती है

सुल्तान अख़्तर

जाँ तन का साथ दे न तो दिल ही वफ़ा करे

सुहैल अहमद ज़ैदी

जाने किस की थी ख़ता याद नहीं

सूफ़ी तबस्सुम

शौक़ रातों को है दरपय कि तपाँ हो जाऊँ

सिराजुद्दीन ज़फ़र

शौक़ रातों को है दर पे कि तपाँ हो जाऊँ

सिराजुद्दीन ज़फ़र

मौसम-ए-गुल तिरे इनआ'म अभी बाक़ी हैं

सिराजुद्दीन ज़फ़र

और खुल जा कि मआ'रिफ़ की गुज़रगाहों में

सिराजुद्दीन ज़फ़र

हर हर वरक़ पे क्यूँ कि लिखूँ दास्तान-ए-हिज्र

सिराज औरंगाबादी

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