बानकपन Poetry (page 2)

तुम अगर दो न पैरहन अपना

सख़ी लख़नवी

ना-ख़ुश जो हो गुल-बदन किसी का

सख़ी लख़नवी

इतने दुखी हैं हम को मसर्रत भी ग़म बने

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

नवादिरात की दूकान

साग़र ख़य्यामी

दिल्ली की लड़कियाँ

साग़र ख़य्यामी

क्रिकेट मैच

साग़र ख़य्यामी

बहारों को चमन याद आ गया है

रिफ़अत सुलतान

अब तिरे लम्स को याद करने का इक सिलसिला और दीवाना-पन रह गया

इरफ़ान सत्तार

ज़वाल-ए-फ़िक्र-ओ-फ़न था और मैं था

इक़बाल अासिफ़

जड़ाव चूड़ियों के हाथों में फबन क्या ख़ूब

इमदाद अली बहर

ये तिरा बाँकपन ये रानाई

इफ़्तिख़ार जमील शाहीन

न कू-ए-यार में ठहरा न अंजुमन में रहा

इब्राहीम अश्क

दूसरा तजरबा

हिमायत अली शाएर

आए थे तेरे शहर में कितनी लगन से हम

हिमायत अली शाएर

क़ल्ब को बर्फ़-आश्ना न करो

हज़ीं लुधियानवी

गई रुतों को भी याद रखना नई रुतों के भी बाब पढ़ना

हसन रिज़वी

अफ़्सुर्दगी-ए-दिल से ये रंग है सुख़न में

हफ़ीज़ जौनपुरी

बदन पे जिस के शराफ़त का पैरहन देखा

गोपालदास नीरज

आतिश-फ़िशाँ ज़बाँ ही नहीं थी बदन भी था

फ़ुज़ैल जाफ़री

वही रिवायत गज़ीदा-दानिश वही हिकायत किताब वाली

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

लहू हमारी जबीं का किसी के चेहरे पर

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

न ग़ुरूर है ख़िरद को न जुनूँ में बाँकपन है

फ़रीद जावेद

न ग़ुरूर है ख़िरद को न जुनूँ में बाँकपन है

फ़रीद जावेद

गुलों के चेहरा-ए-रंगीं पे वो निखार नहीं

फ़ैज़ी निज़ाम पुरी

करो कज जबीं पे सर-ए-कफ़न मिरे क़ातिलों को गुमाँ न हो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

न गँवाओ नावक-ए-नीम-कश दिल-ए-रेज़ा-रेज़ा गँवा दिया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

बदलते वक़्त ने बदले मिज़ाज भी कैसे

फ़हीम शनास काज़मी

लहू की लहर में इक ख़्वाब-ए-दिल-शिकन भी गया

फ़हीम शनास काज़मी

ऐसा बना दिया तुझे क़ुदरत ख़ुदा की है

बेख़ुद देहलवी

रौनक़ फ़रोग़-ए-दर्द से कुछ अंजुमन में है

बेबाक भोजपुरी

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