जागरूक Poetry (page 6)

उस शो'ला-रू से जब से मिरी आँख जा लगी

ग़मगीन देहलवी

तपिश से मेरी वक़्फ़-ए-कशमकश हर तार-ए-बिस्तर है

ग़ालिब

निगाह-ए-नाज़ ने पर्दे उठाए हैं क्या क्या

फ़िराक़ गोरखपुरी

शिकस्त-ए-दिल की हर आवाज़ हश्र-आसार होती है

फ़िगार उन्नावी

मिरे ज़ख़्म-ए-जिगर को ज़ख़्म-ए-दामन-दार होना था

फ़ाज़िल अंसारी

क्या अदू क्या दोस्त सब को भा गईं रुस्वाइयाँ

फ़ारिग़ बुख़ारी

तह-ए-बदन कहीं बेदार होता जाता हूँ

फ़रहत एहसास

सब लज़्ज़तें विसाल की बेकार करते हो

फ़रहत एहसास

ज़िंदाँ की एक सुब्ह

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

क़ैद-ए-तन्हाई

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मिरी जाँ अब भी अपना हुस्न वापस फेर दे मुझ को

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कहाँ जाओगे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ब'अद-अज़-वक़्त

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तुझे भी हुस्न-ए-मुत्लक़ का अभी दीदार हो जाए

अहया भोजपुरी

रानाई-ए-कौनैन से बे-ज़ार हमीं थे

एहसान दानिश

रह गया ख़्वाब-ए-दिल-आराम अधूरा किस का

दिल अय्यूबी

चाँद छूने की तलबगार नहीं हो सकती

दानियाल तरीर

गुम-शुदा आदमी का इंतिज़ार

चन्द्रभान ख़याल

कुछ ऐसा पास-ए-ग़ैरत उठ गया इस अहद-ए-पुर-फ़न में

चकबस्त ब्रिज नारायण

सच्चाइयों को बर-सर-ए-पैकार छोड़ कर

भारत भूषण पन्त

आब की तासीर में हूँ प्यास की शिद्दत में हूँ

भारत भूषण पन्त

बहुत ज़ोरों पे वी-सी-आर था कल शब जहाँ मैं था

बेदिल जौनपूरी

ज़ुल्फ़ तेरी ने परेशाँ किया ऐ यार मुझे

बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान

पूछता कौन है डरता है तू ऐ यार अबस

बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान

हर तरफ़ सोज़ का अंदाज़ जुदागाना है

बासित भोपाली

ज़ाहिर मिरी शिकस्त के आसार भी नहीं

बशीर सैफ़ी

सुहाने सपने आए हैं

बशीर महताब

दिल जिंस-ए-मोहब्बत का ख़रीदार नहीं है

बाक़ी सिद्दीक़ी

मुझे इक शेर कहना है

बक़ा बलूच

उन्हें मुझ से शिकायत है

अज़रा नक़वी

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