चीन Poetry (page 6)

दिल में किसी को रक्खो दिल में रहो किसी के

रसा रामपुरी

जिस तरफ़ भी देखती हूँ एक ही तस्वीर है

रख़शां हाशमी

पी चुके थे ज़हर-ए-ग़म ख़स्ता-जाँ पड़े थे हम चैन था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न मंज़िलें थीं न कुछ दिल में था न सर में था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

ख़ाक ओ ख़ूँ की वुसअतों से बा-ख़बर करती हुई

राजेन्द्र मनचंदा बानी

जो कहीं था ही नहीं उस को कहीं ढूँढना था

राजेश रेड्डी

ऐसे न बिछड़ आँखों से अश्कों की तरह तू

राजेश रेड्डी

तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त

राजेन्द्र नाथ रहबर

तल्ख़-ओ-तुर्श

राही मासूम रज़ा

नादाँ कहाँ तरब का सर-अंजाम और इश्क़

इंशा अल्लाह ख़ान

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

इंशा अल्लाह ख़ान

गाली सही अदा सही चीन-ए-जबीं सही

इंशा अल्लाह ख़ान

शाख़-ए-अदम

इंजिला हमेश

मुझे रंग दे न सुरूर दे मिरे दिल में ख़ुद को उतार दे

इन्दिरा वर्मा

दिल के बेचैन जज़ीरों में उतर जाएगा

इन्दिरा वर्मा

मैं सारी उम्र अहद-ए-वफ़ा में लगा रहा

इमरान हुसैन आज़ाद

हुस्न की जिंस ख़रीदार लिए फिरती है

इम्दाद इमाम असर

फ़ुर्क़त की आफ़त बुरे दिन काटना साल है

इमदाद अली बहर

अब मरना है अपने ख़ुशी है जीने से बे-ज़ारी है

इमदाद अली बहर

समझाने वालों ने कितना उन को समझाया लोगो

इलियास इश्क़ी

जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़

इफ़्तिख़ार राग़िब

छोड़ा न मुझे दिल ने मिरी जान कहीं का

इफ़्तिख़ार राग़िब

बदन-दरीदा रूहों के नाम एक नज़्म

इफ़्तिख़ार आरिफ़

रहमतों में तिरी आग़ोश की पाले गए हम

इफ़्फ़त अब्बास

मतला ग़ज़ल का ग़ैर ज़रूरी क्या क्यूँ कब का हिस्सा है

इदरीस बाबर

चाँद के तमन्नाई

इब्न-ए-इंशा

जल्वा-नुमाई बे-परवाई हाँ यही रीत जहाँ की है

इब्न-ए-इंशा

और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का

इब्न-ए-इंशा

जैसे कोई ज़िद्दी बच्चा कब बहले बहलाने से

हुमैरा रहमान

पिंदार-ए-ज़ोहद हो कि ग़ुरूर-ए-बरहमनी

हिमायत अली शाएर

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