चरख़ Poetry (page 6)

वो सौ सौ अठखटों से घर से बाहर दो क़दम निकले

ज़फ़र

तुफ़्ता-जानों का इलाज ऐ अहल-ए-दानिश और है

ज़फ़र

क्यूँकर न ख़ाकसार रहें अहल-ए-कीं से दूर

ज़फ़र

जब कि पहलू में हमारे बुत-ए-ख़ुद-काम न हो

ज़फ़र

गई यक-ब-यक जो हवा पलट नहीं दिल को मेरे क़रार है

ज़फ़र

परतव-ए-हुस्न कहीं अंजुमन-अफ़रोज़ तो हो

अज़ीज़ लखनवी

जाम ख़ाली जहाँ नज़र आया

अज़ीज़ लखनवी

वो शोख़ दिल-ओ-जाँ की तमन्ना तो न निकला

अज़ीम कुरेशी

सुरूर-ए-इश्क़ की मस्ती कहाँ है सब के लिए

अज़ीम कुरेशी

ख़ाना-ब-दोश

असरार-उल-हक़ मजाज़

क़ासिद तो लिए जाता है पैग़ाम हमारा

आसिफ़ुद्दौला

ख़ुलूस-ए-अल्फ़ाज़ काम आया निगाह-ए-अहल-ए-फ़ितन से पहले

अर्शी भोपाली

इक लफ़्ज़ आ गया था जो मेरी ज़बान पर

अरशद कमाल

आरिज़ में तुम्हारे क्या सफ़ा है

अरशद अली ख़ान क़लक़

हो रहा है टुकड़े टुकड़े दिल मेरे ग़म-ख़्वार का

अनवर देहलवी

देखा जो मर्ग तो मरना ज़ियाँ न था

अनवर देहलवी

अब अपना हाल हम उन्हें तहरीर कर चुके

अनवर देहलवी

ऐ दो-जहाँ के मालिक आ'ला है नाम तेरा

अनीसा बेगम

कितना मुख़्तसर है ये ज़िंदगी का अफ़्साना

अमजद नजमी

थक गए तुम हसरत-ए-ज़ौक़-ए-शहादत कम नहीं

अमीरुल्लाह तस्लीम

वस्ल की शब भी ख़फ़ा वो बुत-ए-मग़रूर रहा

अमीर मीनाई

वादा-ए-वस्ल और वो कुछ बात है

अमीर मीनाई

है ख़मोशी ज़ुल्म-ए-चर्ख़-ए-देव-पैकर का जवाब

अमीर मीनाई

उलझा दिल-ए-सितम-ज़दा ज़ुल्फ़-ए-बुताँ से आज

अमानत लखनवी

आग़ोश में जो जल्वागर इक नाज़नीं हुआ

अमानत लखनवी

मर्सिया-ए-देहली-ए-मरहूम

अल्ताफ़ हुसैन हाली

कब्क ओ क़ुमरी में है झगड़ा कि चमन किस का है

अल्ताफ़ हुसैन हाली

जीते जी मौत के तुम मुँह में न जाना हरगिज़

अल्ताफ़ हुसैन हाली

ख़यालात रंगीं नहीं बोलते उस को ज्यूँ बास फूलों के रंगों में रहिए

अलीमुल्लाह

उर्दू

आलम मुज़फ्फ़र नगरी

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