चरख़ Poetry (page 5)

मिस्ल-ए-तिफ़्लाँ वहशियों से ज़िद है चर्ख़-ए-पीर को

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

न पहुँचे हाथ जिस का ज़ोफ़ से ता-ज़ीस्त दामन तक

ग़ुलाम मौला क़लक़

ऐ ख़ार ख़ार-ए-हसरत क्या क्या फ़िगार हैं हम

ग़ुलाम मौला क़लक़

तिरा मय-ख़्वार ख़ुश-आग़ाज़-ओ-ख़ुश-अंजाम है साक़ी

ग़ुबार भट्टी

शिकवे के नाम से बे-मेहर ख़फ़ा होता है

ग़ालिब

फिर इस अंदाज़ से बहार आई

ग़ालिब

नवेद-ए-अम्न है बेदाद-ए-दोस्त जाँ के लिए

ग़ालिब

हुज़ूर-ए-शाह में अहल-ए-सुख़न की आज़माइश है

ग़ालिब

ग़ैर लें महफ़िल में बोसे जाम के

ग़ालिब

अपने ग़म का मुझे कहाँ ग़म है

फ़िराक़ गोरखपुरी

जो कुछ भी है नज़र में सो वहम-ए-नुमूद है

फ़रहत कानपुरी

आह से या आह की तासीर से

फ़ानी बदायुनी

ये घूमता हुआ आईना अपना ठहरा के

एजाज़ गुल

हादसों का सिलसिला मंज़र-ब-मंज़र जम गया

एहतराम इस्लाम

हादसों का सिलसिला मंज़र-ब-मंज़र जम गया

एहतराम इस्लाम

आया नहीं है राह पे चर्ख़-ए-कुहन अभी

एहसान दानिश

हाथ निकले अपने दोनों काम के

दाग़ देहलवी

हिजाब दूर तुम्हारा शबाब कर देगा

बेख़ुद देहलवी

दिल है मुश्ताक़ जुदा आँख तलबगार जुदा

बेख़ुद देहलवी

फ़रिश्ते देख रहे हैं ज़मीन ओ चर्ख़ का रब्त

बेकल उत्साही

नज़र की फ़त्ह कभी क़ल्ब की शिकस्त लगे

बेकल उत्साही

हो गया चर्ख़-ए-सितमगर का कलेजा ठंडा

बेदिल हैदरी

भूक चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे

बेदिल हैदरी

हम मय-कदे से मर के भी बाहर न जाएँगे

बेदम शाह वारसी

जिगर-गुदाज़ मआ'नी समझ सको तो कहूँ

बेबाक भोजपुरी

गौहर-ए-मक़्सद मिले गर चर्ख़-ए-मीनाई न हो

बयान मेरठी

ख़ाक करती है ब-रंग-ए-चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम रक़्स

बयान मेरठी

पूछता कौन है डरता है तू ऐ यार अबस

बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान

ले के दिल उस शोख़ ने इक दाग़ सीने पर दिया

बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान

मत तंग हो करे जो फ़लक तुझ को तंग-दस्त

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

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