छोड़ दो Poetry (page 33)

नाव काग़ज़ की छोड़ दी मैं ने

अख़्तर नज़्मी

अब नहीं लौट के आने वाला

अख़्तर नज़्मी

सिलसिला ज़ख़्म ज़ख़्म जारी है

अख़्तर नज़्मी

अब नहीं लौट के आने वाला

अख़्तर नज़्मी

शिकवा इस का तो नहीं है जो करम छोड़ दिया

अख़तर मुस्लिमी

कहाँ जाएँ छोड़ के हम उसे कोई और उस के सिवा भी है

अख़तर मुस्लिमी

देखो उस ने क़दम क़दम पर साथ दिया बेगाने का

अख्तर लख़नवी

अपना दुख अपना है प्यारे ग़ैर को क्यूँ उलझाओगे

अख़तर इमाम रिज़वी

दिल के अरमान दिल को छोड़ गए

अख़्तर अंसारी

रू-ब-रू-ए-मर्ग

अख़लाक़ अहमद आहन

नदी का क्या है जिधर चाहे उस डगर जाए

अखिलेश तिवारी

जान शायद फ़रिश्ते छोड़ भी दें

अकबर इलाहाबादी

मिस सीमीं बदन

अकबर इलाहाबादी

मेहरबानी है अयादत को जो आते हैं मगर

अकबर इलाहाबादी

जब यास हुई तो आहों ने सीने से निकलना छोड़ दिया

अकबर इलाहाबादी

चर्ख़ से कुछ उमीद थी ही नहीं

अकबर इलाहाबादी

धुआँ सिफ़त हूँ ख़लाओं का है सफ़र मुझ को

अजीत सिंह हसरत

ये बरसों का तअल्लुक़ तोड़ देना चाहते हैं हम

ऐतबार साजिद

ये बरसों का तअल्लुक़ तोड़ देना चाहते हैं हम

ऐतबार साजिद

आने वाली थी ख़िज़ाँ मैदान ख़ाली कर दिया

ऐतबार साजिद

किसी की नेक हो या बद जहाँ में ख़ू नहीं छुपती

ऐश देहलवी

पुरानी फ़ाइलों में गुनगुनाती शाम

ऐन ताबिश

मैं अल्बम के वरक़ जब भी उलटता हूँ

ऐन ताबिश

इक परिंदा शाख़ पर बैठा हुआ

ऐन इरफ़ान

फ़सान-ए-इबरत

अहमक़ फफूँदवी

फूल की रंगत मैं ने देखी दर्द की रंगत देखे कौन

अहमद ज़फ़र

जंगल का सन्नाटा मेरा दुश्मन है

अहमद ज़फ़र

किसी को छोड़ देता हूँ किसी के साथ चलता हूँ

अहमद रिज़वान

बात करने का नहीं सामने आने का नहीं

अहमद रिज़वान

आता ही नहीं होने का यक़ीं क्या बात करूँ

अहमद रिज़वान

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