छोड़ दो Poetry (page 36)

आँखों में रूप सुब्ह की पहली किरन सा है

अदा जाफ़री

मसरूर हो रहे हैं ग़म-ए-आशिक़ी से हम

अबु मोहम्मद वासिल

'सहर' अब होगा मेरा ज़िक्र भी रौशन-दिमाग़ों में

अबु मोहम्मद सहर

बला-ए-जाँ थी जो बज़्म-ए-तमाशा छोड़ दी मैं ने

अबु मोहम्मद सहर

ये सब्ज़ा और ये आब-ए-रवाँ और अब्र ये गहरा

आबरू शाह मुबारक

तीरा-रंगों के हुआ हक़ में ये तप करना दवा

आबरू शाह मुबारक

पलंग कूँ छोड़ ख़ाली गोद सीं जब उठ गया मीता

आबरू शाह मुबारक

मत ग़ज़ब कर छोड़ दे ग़ुस्सा सजन

आबरू शाह मुबारक

ख़ुदा के वास्ते ऐ यार हम सीं आ मिल जा

आबरू शाह मुबारक

कहो तुम किस सबब रूठे हो प्यारे बे-गुनह हम सीं

आबरू शाह मुबारक

अगर दिल इश्क़ सीं ग़ाफ़िल रहा है

आबरू शाह मुबारक

कुछ है ख़बर फ़रिश्तों के जलते हैं पर कहाँ

अबरार शाहजहाँपुरी

भड़क उठा है अलाव तुम्हारी फ़ुर्क़त का

अबरार हामिद

फ़िराक़ ओ वस्ल से हट कर कोई रिश्ता हमारा है

अबरार अहमद

आगे बढ़ने वाले

अबरार अहमद

राह दुश्वार भी है बे-सर-ओ-सामानी भी

अबरार अहमद

कहीं पर सुब्ह रखता हूँ कहीं पर शाम रखता हूँ

अबरार अहमद

मुक़द्दर में साहिल कहाँ है मियाँ

आबिद मुनावरी

किसे ख़बर थी कि ख़ुद को वो यूँ छुपाएगा

आबिद ख़ुर्शीद

राह भटका हुआ इंसान नज़र आता है

अभिषेक कुमार अम्बर

एक ख़्वाहिश है बस जमाने की

अभिषेक कुमार अम्बर

दिल में लिए औहाम को इस घर से उठा मैं

अब्दुर्राहमान वासिफ़

क्या कीजिए रक़म सनद-ए-एहतिशाम-ए-ज़ुल्फ़

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

मैं तेरी ही आवाज़ हूँ और गूँज रहा हूँ

अब्दुल्लाह जावेद

ज़िंदगी तुझ से प्यार क्या करते

अब्दुल मन्नान समदी

बदलते मौसमों में आब-ओ-दाना भी नहीं होगा

अब्दुल मन्नान समदी

छोड़ा नहीं ख़ुदी को दौड़े ख़ुदा के पीछे

अब्दुल हमीद अदम

हँस हँस के जाम जाम को छलका के पी गया

अब्दुल हमीद अदम

बे-सबब क्यूँ तबाह होता है

अब्दुल हमीद अदम

नक़्श-ए-दिल है सितम जुदाई का

अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़

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