दाग Poetry (page 9)

वो मिरे दिल की रौशनी वो मिरे दाग़ ले गई

सलीम अहमद

कल नशात-ए-क़ुर्ब से मौसम बहार-अंदाज़ा था

सलीम अहमद

जो दिल में हैं दाग़ जल रहे हैं

सलीम अहमद

इश्क़ और नंग-ए-आरज़ू से आर

सलीम अहमद

ताबानी-ए-रुख़ ले कर तुम सामने जब आए

सलाम संदेलवी

था ख़्वाब में ख़याल को तुझ से मुआमला

सलाहुद्दीन परवेज़

हमें चार सम्त की दौड़ में वही गर्द-ए-बाद-ए-सदा मिला

सज्जाद बाक़र रिज़वी

है दुकान-ए-शौक़ भरी हुई कोई मेहरबाँ हो तो ले के आ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

ब-क़द्र-ए-हौसला कोई कहीं कोई कहीं तक है

सज्जाद बाक़र रिज़वी

तन्हाई के शो'लों पे मचलने के लिए था

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

मस्त-ए-निगाह-ए-नाज़ का अरमाँ निकालिए

साहिर देहल्वी

हर घड़ी मुझ को बे-क़रार न कर

सहर महमूद

तारीकियों का हिसाब

सहर अंसारी

न किसी से करम की उम्मीद रखें न किसी के सितम का ख़याल करें

सहर अंसारी

मोहब्बत में वफ़ाओं का यही इनआ'म है 'सूफ़ी'

सग़ीर अहमद सूफ़ी

इश्क़ क्या है ख़ुद-फ़रामोशी मुसलसल इज़्तिराब

सग़ीर अहमद सग़ीर अहसनी

क्यूँ तू ने वा किया था बंद-ए-क़बा चमन में

सग़ीर अली मुरव्वत

ख़ता-वार-ए-मुरव्वत हो न मरहून-ए-करम हो जा

साग़र सिद्दीक़ी

ओस की तमन्ना में जैसे बाग़ जलता है

सफ़दर मीर

ज़ात की काल कोठरी से आख़िरी नश्रिया

सईद अहमद

यूँ तो हर एक शख़्स ही तालिब समर का है

सादिक़ नसीम

उदास उदास सर-ए-साग़र-ओ-सुबू भी मैं

सादिक़ नसीम

नज़र नज़र से वो कलियाँ खिला खिला भी गया

सादिक़ नसीम

हर शख़्स को ऐसे देखता हूँ

सादिक़ नसीम

अपनी आँखों से तो दरिया भी सराब-आसा मिले

सादिक़ नसीम

कैसे सच से रहे बे-ख़बर आइना

सचिन शालिनी

किस को बताते किस से छुपाते सुराग़-ए-दिल

सबीला इनाम सिद्दीक़ी

यगाना बन के हो जाए वो बेगाना तो क्या होगा

सबा अकबराबादी

ज़ोम न कीजो शम्अ-रू बज़्म के सोज़ ओ साज़ पर

साइल देहलवी

ज़रूर पाँव में अपने हिना वो मल के चले

रियाज़ ख़ैराबादी

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