दाग Poetry (page 11)

उक़्दे उल्फ़त के सब ऐ रश्क-ए-क़मर खोल दिए

रशीद लखनवी

सुर्ख़ हो जाता है मुँह मेरी नज़र के बोझ से

रशीद लखनवी

शुरूअ' अहल-ए-मोहब्बत के इम्तिहान हुए

रशीद लखनवी

जोश-ए-वहशत मेरे तलवों को ये ईज़ा भी सही

रशीद लखनवी

अगर गुल की कोई पती झड़ी है

रशीद लखनवी

देता है मुझ को चर्ख़-ए-कुहन बार बार दाग़

रंजूर अज़ीमाबादी

यक़ीनन है कोई माह-ए-मुनव्वर पीछे चिलमन के

रंजूर अज़ीमाबादी

देता है मुझ को चर्ख़-ए-कुहन बार बार दाग़

रंजूर अज़ीमाबादी

ता हश्र रहे ये दाग़ दिल का

रंगीन सआदत यार ख़ाँ

ता हश्र रहे ये दाग़ दिल का

रंगीन सआदत यार ख़ाँ

इधर की आवाज़ इस तरफ़ है

राजेन्द्र मनचंदा बानी

ज़रा सा इम्कान किस क़दर था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

ऐ लम्हो मैं क्यूँ लम्हा-ए-लर्ज़ां हूँ बताओ

राजेन्द्र मनचंदा बानी

आसमाँ का सर्द सन्नाटा पिघलता जाएगा

राजेन्द्र मनचंदा बानी

यूँ हसरतों के दाग़ मोहब्बत में धो लिए

राजेन्द्र कृष्ण

तर्क जिस दिन से किया हम ने शकेबाई का

रजब अली बेग सुरूर

मरीज़-ए-हिज्र को सेहत से अब तो काम नहीं

रजब अली बेग सुरूर

संग-दिल हूँ इस क़दर आँखें भिगो सकता नहीं

इक़बाल साजिद

उर्दू

इक़बाल अशहर

कौन सा ग़म है मिरे दिल में जो मेहमान नहीं

इन्तेसार हुसैन आबिदी शाहिद

काश अब्र करे चादर-ए-महताब की चोरी

इंशा अल्लाह ख़ान

आज फिर चाँद उस ने माँगा है

इन्दिरा वर्मा

अपनी ही रवानी में बहता नज़र आता है

इनाम नदीम

आसमाँ मिल न सका धरती पे आया न गया

इमरान हुसैन आज़ाद

किसी का दिल को रहा इंतिज़ार सारी रात

इम्दाद इमाम असर

ये दिल है तो आफ़त में पड़ते रहेंगे

इमदाद अली बहर

वक़्त-ए-आख़िर हमें दीदार दिखाया न गया

इमदाद अली बहर

सर्व में रंग है कुछ कुछ तिरी ज़ेबाई का

इमदाद अली बहर

क़द्र-दाँ कोई न असफ़ल है न आ'ला अपना

इमदाद अली बहर

फल आते हैं फूल टूटते हैं

इमदाद अली बहर

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