दाग Poetry (page 12)

नहीं होने का ये ख़ून-ए-जिगर बंद

इमदाद अली बहर

मैं सियह-रू अपने ख़ालिक़ से जो ने'मत माँगता

इमदाद अली बहर

किया सलाम जो साक़ी से हम ने जाम लिया

इमदाद अली बहर

कभी तो देखे हमारी अरक़-फ़िशानी धूप

इमदाद अली बहर

इस तरह ज़ीस्त बसर की कोई पुरसाँ न हुआ

इमदाद अली बहर

हम नाक़िसों के दौर में कामिल हुए तो क्या

इमदाद अली बहर

हर तरफ़ मज्मा-ए-आशिक़ाँ है

इमदाद अली बहर

गया सब अंदोह अपने दिल का थमे अब आँसू क़रार आया

इमदाद अली बहर

दाग़ बैआ'ना हुस्न का न हुआ

इमदाद अली बहर

बग़ैर यार गवारा नहीं कबाब शराब

इमदाद अली बहर

आज़ुर्दा हो गया वो ख़रीदार बे-सबब

इमदाद अली बहर

मिरा सीना है मशरिक़ आफ़्ताब-ए-दाग़-ए-हिज्राँ का

इमाम बख़्श नासिख़

हैं अश्क मिरी आँखों में क़ुल्ज़ुम से ज़्यादा

इमाम बख़्श नासिख़

गर्द-ओ-ग़ुबार धूप के आँचल पे छा गए

इमाम अाज़म

वक़्त आया तो ख़ून से अपने दाग़-ए-नदामत धो लेंगे

इलियास इश्क़ी

गरचे क़लम से कुछ न लिखेंगे मुँह से कुछ नहीं बोलेंगे

इलियास इश्क़ी

शाही बदला

इलियास बाबर आवान

हमारे दिन गुज़र गए

इलियास बाबर आवान

कूच

इफ़्तिख़ार आरिफ़

कुछ भी नहीं कहीं नहीं ख़्वाब के इख़्तियार में

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अजीब कर्ब-ए-मुसलसल दिल-ओ-नज़र में रहा

इफ़्फ़त ज़र्रीं

ख़मोश रह के ज़वाल-ए-सुख़न का ग़म किए जाएँ

इदरीस बाबर

मिशअल-ब-कफ़ कभी तो कभी दिल-ब-दस्त था

इब्राहीम अश्क

दैर-ओ-हरम में दश्त-ओ-बयाबान-ओ-बाग़ में

इब्राहीम होश

सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके

इब्न-ए-इंशा

राज़ कहाँ तक राज़ रहेगा मंज़र-ए-आम पे आएगा

इब्न-ए-इंशा

इस शहर के लोगों पे ख़त्म सही ख़ु-तलअ'ती-ओ-गुल-पैरहनी

इब्न-ए-इंशा

रहेगा अक़्ल के सीने पे ता-अबद ये दाग़

हुरमतुल इकराम

गो दाग़ हो गए हैं वो छाले पड़े हुए

होश तिर्मिज़ी

मिरी दास्ताँ भी अजीब है वो क़दम क़दम मिरे साथ था

हिलाल फ़रीद

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