कूच

जिस रोज़ हमारा कूच होगा

फूलों की दुकानें बंद होंगी

शीरीं-सुख़नों के हर्फ़-ए-दुश्नाम

बे-मेहर ज़बानें बंद होंगी

पलकों पे नमी का ज़िक्र ही क्या

यादों का सुराग़ तक न होगा

हमवारी-ए-हर-नफ़्स सलामत

दिल पर कोई दाग़ तक न होगा

पामाली-ए-ख़्वाब की कहानी

कहने को चराग़ तक न होगा

माबूद इस आख़िरी सफ़र में

तन्हाई को सुर्ख़-रू ही रखना

जुज़ तेरे नहीं कोई निगह-दार

उस दिन भी ख़याल तू ही रखना

जिस आँख ने उम्र भर रुलाया

उस आँख को बे-वज़ू ही रखना

जिस रोज़ हमारा कूच होगा

फूलों की दुकानें बंद होंगी

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Kuch In Hindi By Famous Poet Iftikhar Arif. Kuch is written by Iftikhar Arif. Complete Poem Kuch in Hindi by Iftikhar Arif. Download free Kuch Poem for Youth in PDF. Kuch is a Poem on Inspiration for young students. Share Kuch with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.