ता हश्र रहे ये दाग़ दिल का
या-रब न बुझे चराग़ दिल का
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मनअ करते हो अबस यारो आज
उस के कूचे में बहुत रहते हैं दीवाने पड़े
ग़ैर की ख़ातिर से तुम यारों को धमकाने लगे
चाह कर हम उस परी-रू को जो दीवाने हुए
है ये दुनिया जा-ए-इबरत ख़ाक से इंसान की
इश्क़ से बच के किधर जाएँगे हम
हमदमो क्या मुझ को तुम उन से मिला सकते नहीं
पा-बोस-ए-यार की हमें हसरत है ऐ नसीम
ज़ुल्म की टहनी कभी फलती नहीं
हम जूँ चकोर ग़श हैं अजी एक यार पर
बादल आए हैं घिर गुलाल के लाल
गर्म इन रोज़ों में कुछ इश्क़ का बाज़ार नहीं