है ये दुनिया जा-ए-इबरत ख़ाक से इंसान की
बन गए कितने सुबू कितने ही पैमाने हुए
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मेरी ईज़ा में ख़ुशी जब आप की पाते हैं लोग
मनअ करते हो अबस यारो आज
ज़ुल्म की टहनी कभी फलती नहीं
ता हश्र रहे ये दाग़ दिल का
झूटा कभी न झूटा होवे
हमदमो क्या मुझ को तुम उन से मिला सकते नहीं
ग़ैर की ख़ातिर से तुम यारों को धमकाने लगे
फिर बहार आई मिरे सय्याद को पर्वा नहीं
पा-बोस-ए-यार की हमें हसरत है ऐ नसीम
हम जूँ चकोर ग़श हैं अजी एक यार पर
तुझ को आती है दिलासे की नहीं बात कोई