ज़ुल्म की टहनी कभी फलती नहीं
नाव काग़ज़ की कहीं चलती नहीं
Parveen Shakir
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Rahat Indori
Anwar Masood
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1309) Peoples Rate This
ता हश्र रहे ये दाग़ दिल का
फिर बहार आई मिरे सय्याद को पर्वा नहीं
था जहाँ मय-ख़ाना बरपा उस जगह मस्जिद बनी
बादल आए हैं घिर गुलाल के लाल
है ये दुनिया जा-ए-इबरत ख़ाक से इंसान की
झूटा कभी न झूटा होवे
पा-बोस-ए-यार की हमें हसरत है ऐ नसीम
ग़ैर की ख़ातिर से तुम यारों को धमकाने लगे
उस के कूचे में बहुत रहते हैं दीवाने पड़े
चाह कर हम उस परी-रू को जो दीवाने हुए
मेरी ईज़ा में ख़ुशी जब आप की पाते हैं लोग