निज़ाम रामपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का निज़ाम रामपुरी

निज़ाम रामपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का निज़ाम रामपुरी
नामनिज़ाम रामपुरी
अंग्रेज़ी नामNizam Rampuri
जन्म की तारीख1822
मौत की तिथि1872

ज़िद है गर है तो हो सभी के साथ

यूँ तो रूठे हैं मगर लोगों से

ये हवा सर्द चली और ये बादल आए

ये दिन तो सर्फ़ आप के वादों में हो गए

ये भी नया सितम है हिना तो लगाएँ ग़ैर

वो इशारों में उस का कहना हाए

उठता हूँ उस की बज़्म से जब हो के ना-उमीद

उस की उल्फ़त में जीते-जी मरना

तुम हो गए कुछ और न कुछ और हम हुए

तुझ से ही छुपाऊँगा ग़म अपना

तेरे ही ग़म में मर गए सद-शुक्र

तेरा मिलना तो है मुश्किल मगर इतना तो हुआ

सच है 'निज़ाम' याद भी उस को न होंगे हम

राह निकलेगी न कब तक कोई

रात था वस्ल आज हिज्र का दिन

न बन आया जब उन को कोई जवाब

मुंतज़िर हूँ किसी के आने का

मेरे मिलने से जो यूँ हाथ उठा-बैठा तू

मज़मून सूझते हैं हज़ारों नए नए

मंज़ूर क्या है ये भी तो खुलता नहीं सबब

मैं न कहता था कि बहकाएँगे तुम को दुश्मन

लिपटा के शब-ए-वस्ल वो उस शोख़ का कहना

क्या किसी से किसी का हाल कहें

क्या दुआ रोज़-ए-हश्र की माँगें

कू-ए-जानाँ में गर अब जाएँ भी तो क्या देखें

किस क़दर हिज्र में बेहोशी है

किस का है इंतिज़ार कहाँ ध्यान है लगा

ख़ुश्बू वो पसीने की तिरी याद न आ जाए

कहीं उस बज़्म तक रसाई हो

जो कुछ इशारे होते हैं सब देखता हूँ मैं

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