निज़ाम रामपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का निज़ाम रामपुरी (page 4)
नाम | निज़ाम रामपुरी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Nizam Rampuri |
जन्म की तारीख | 1822 |
मौत की तिथि | 1872 |
जो सरगुज़िश्त अपनी हम कहेंगे कोई सुनेगा तो क्या करेंगे
जो चुप रहूँ तो बताएँ वो घुँगनियाँ मुँह में
जब तो मैं हूँ आह में ऐसा असर पैदा करूँ
इस क़दर आप का इताब रहे
हम को शब-ए-विसाल भी रंज-ओ-मेहन हुआ
हो के बस इंसान हैराँ सर पकड़ कर बैठ जाए
हिलती है ज़ुल्फ़ जुम्बिश-ए-गर्दन के साथ साथ
हाल-ए-दिल तुम से मिरी जाँ न कहा कौन से दिन
गर कहूँ मतलब तुम्हारा खुल गया
गर दोस्तो तुम ने उसे देखा नहीं होता
गए हैं जब से वो उठ के याँ से है हाल बाहर मिरा बयाँ से
फ़िराक़ में तो सताती है आरज़ू-ए-विसाल
फ़िक्र यही है हर घड़ी ग़म यही सुब्ह ओ शाम है
दिल पे जो गुज़रे है मेरे आह मैं किस से कहूँ
दिल में क्या उस को मिला जान से हम देखते हैं
दिल लगे हिज्र में क्यूँ कर मेरा
देखिए तो ख़याल-ए-ख़ाम मिरा
देख अपने क़रार करने को
छेड़ मंज़ूर है क्या आशिक़-ए-दिल-गीर के साथ
बिगड़ने से तुम्हारे क्या कहूँ मैं क्या बिगड़ता है
और अब क्या कहें कि क्या हैं हम
अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ
आदत से उन की दिल को ख़ुशी भी है ग़म भी है