तेरा मिलना तो है मुश्किल मगर इतना तो हुआ
अपना मरना मुझे आसाँ न हुआ था सो हुआ
Wasi Shah
Habib Jalib
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Gulzar
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(491) Peoples Rate This
तुझ से ही छुपाऊँगा ग़म अपना
मैं न कहता था कि बहकाएँगे तुम को दुश्मन
लिपटा के शब-ए-वस्ल वो उस शोख़ का कहना
किसी ने पकड़ा दामन और किसी ने आस्तीं पकड़ी
इक वो कि रात दिन रहें महफ़िल में उस की हाए
वो इशारों में उस का कहना हाए
कभी मिलते थे वो हम से ज़माना याद आता है
न बन आया जब उन को कोई जवाब
रात था वस्ल आज हिज्र का दिन
अब तुम से क्या किसी से शिकायत नहीं मुझे
दिल पे जो गुज़रे है मेरे आह मैं किस से कहूँ
देख अपने क़रार करने को