अब तुम से क्या किसी से शिकायत नहीं मुझे
तुम क्या बदल गए कि ज़माना बदल गया
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Allama Iqbal
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Rahat Indori
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(340) Peoples Rate This
ख़ुश्बू वो पसीने की तिरी याद न आ जाए
गर कोई पूछे मुझे आप इसे जानते हैं
मुझ से क्यूँ कहते हो मज़मूँ ग़ैर की तहरीर का
गर कहूँ मतलब तुम्हारा खुल गया
छेड़ मंज़ूर है क्या आशिक़-ए-दिल-गीर के साथ
उस से फिर क्या गिला करे कोई
आप देखें तो मिरे दिल में भी क्या क्या कुछ है
दरबाँ से आप कहते थे कुछ मेरे बाब में
ये हवा सर्द चली और ये बादल आए
दिल पे जो गुज़रे है मेरे आह मैं किस से कहूँ
कू-ए-जानाँ में गर अब जाएँ भी तो क्या देखें
बे-साख़्ता निगाहें जो आपस में मिल गईं