ये दिन तो सर्फ़ आप के वादों में हो गए
अब दिन नया निकालिए इक़रार के लिए
Anwar Masood
Rahat Indori
Habib Jalib
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Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Parveen Shakir
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Gulzar
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जो सरगुज़िश्त अपनी हम कहेंगे कोई सुनेगा तो क्या करेंगे
है ख़ुशी इंतिज़ार की हर दम
और अब क्या कहें कि क्या हैं हम
मिरी साँस अब चारा-गर टूटती है
देखिए तो ख़याल-ए-ख़ाम मिरा
तुम हो गए कुछ और न कुछ और हम हुए
जो जो मज़े किए हैं ज़बाँ से मैं क्या कहूँ
अंदाज़ अपना देखते हैं आईने में वो
आदत से उन की दिल को ख़ुशी भी है ग़म भी है
ज़ाए नहीं होती कभी तदबीर किसी की
हुए नुमूद जो पिस्ताँ तो शर्म खा के कहा
रात था वस्ल आज हिज्र का दिन