है ख़ुशी इंतिज़ार की हर दम
मैं ये क्यूँ पूछूँ कब मिलेंगे आप
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आप देखें तो मिरे दिल में भी क्या क्या कुछ है
इस क़दर आप का इताब रहे
अंगड़ाई भी वो लेने न पाए उठा के हाथ
दरबाँ से आप कहते थे कुछ मेरे बाब में
वो तो यूँही कहता है कि मैं कुछ नहीं कहता
याँ किसे ग़म है जो गिर्या ने असर छोड़ दिया
और अब क्या कहें कि क्या हैं हम
अब तो सब का तिरे कूचे ही में मस्कन ठहरा
नहीं सूझता कोई चारा मुझे
महफ़िल में आते जाते हैं इंसाँ नए नए
ये अजब तुम ने निकाला सोना