मनअ करते हो अबस यारो आज
उस के घर जाएँगे पर जाएँगे हम
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हमदमो क्या मुझ को तुम उन से मिला सकते नहीं
हम जूँ चकोर ग़श हैं अजी एक यार पर
वो न आए तो तू ही चल 'रंगीं'
था जहाँ मय-ख़ाना बरपा उस जगह मस्जिद बनी
बादल आए हैं घिर गुलाल के लाल
ता हश्र रहे ये दाग़ दिल का
ग़ैर की ख़ातिर से तुम यारों को धमकाने लगे
झूटा कभी न झूटा होवे
तुझ को आती है दिलासे की नहीं बात कोई
पा-बोस-ए-यार की हमें हसरत है ऐ नसीम