देता है मुझ को चर्ख़-ए-कुहन बार बार दाग़

देता है मुझ को चर्ख़-ए-कुहन बार बार दाग़

उफ़ एक मेरा सीना है उस पर हज़ार दाग़

देते हैं मेरे सीने में क्या ही बहार दाग़

खाए न उन को देख के क्यूँ लाला-ज़ार दाग़

लाला करेगा दिल की मिरे क्या बराबरी

उस पर है एक दाग़ यहाँ बे-शुमार दाग़

दुनिया के सारे सदमे हैं कम हिज्र-ए-यार से

दे मुद्दई को भी न ये परवरदिगार दाग़

रखता है इश्क़-ए-लाला-रुख़ाँ दिल में वो निहाँ

सीने पे माहताब के है आश्कार दाग़

ज़ुल्मत से दी नजात दिल-ए-दाग़दार ने

रौशन मिसाल-ए-शम्अ है ज़ेर-ए-मज़ार दाग़

हर दम न क्यूँ लगाए रखें सीने से उसे

इक माह-रू के इश्क़ की है यादगार दाग़

क़ातिल मिरे लहू ने भी क्या गुल खिलाए हैं

दामन पे तेरे देते हैं क्या ही बहार दाग़

जो ज़ुल्म चाहे रख दिल-ए-'रंजूर' पर रवा

दे तू मगर उसे न जुदाई का यार दाग़

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In Hindi By Famous Poet Ranjoor Azimabadi. is written by Ranjoor Azimabadi. Complete Poem in Hindi by Ranjoor Azimabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.