देरी Poetry

कहाँ तहरीरें मैं ने बाँट दी हैं

हामिद इक़बाल सिद्दीक़ी

एक तो इश्क़ की तक़्सीर किए जाता हूँ

नईम गिलानी

मेरे गिर्या से न आज़ार उठाने से हुआ

ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क

ऐ दिल आता है चमन में वो शराबी तू पहुँच

वलीउल्लाह मुहिब

मिरे चारों तरफ़ ये साज़िश-ए-तस्ख़ीर कैसी है

सुल्तान अख़्तर

कि ख़ुद-नुमाई न तश्हीर चाहते हैं हम

सुहैल अख़्तर

जन्नत से निकाला न जहन्नुम से निकाला

सुहैल अख़्तर

आरज़ूओं को अना-गीर नहीं कर सकते

सिया सचदेव

दिल के बहलाने की तदबीर तो है

शकील बदायुनी

बाग़ में कलियों का मुस्काना गया

शाइस्ता सहर

हवा के हौसले ज़ंजीर करना चाहता है

शहनाज़ नूर

सोच रहा है इतना क्यूँ ऐ दस्त-ए-बे-ताख़ीर निकाल

शाहिद कमाल

ख़ुद मुझ को मेरे दस्त-ए-कमाँ-गीर से मिला

शाहिद कमाल

ख़ुद मुझ को मेरे दस्त-ए-कमाँ-गीर से मिला

शाहिद कमाल

जो मिरी पुश्त में पैवस्त है उस तीर को देख

शाहिद कमाल

नक़्श करता रम-ओ-रफ़्तार इनाँ-गीर को मैं

शाहीन अब्बास

ये अपने आप पे ताज़ीर कर रही हूँ मैं

शबाना यूसुफ़

ग़म सहे रुस्वा हुए जज़्बात की तहक़ीर की

सय्यद आशूर काज़मी

ग़ुबार-ए-फ़िक्र को तहरीर करता रहता हूँ

सलीम शुजाअ अंसारी

हर्फ़-ए-बे-मतलब की मैं ने किस क़दर तफ़्सीर की

सलीम शाहिद

वो जो आए थे बहुत मंसब-ओ-जागीर के साथ

सलीम कौसर

एक तो दुनिया का कारोबार है

सलीम फ़राज़

वक़ार-ए-शाह-ए-ज़विल-इक्तदार देख चुके

रिन्द लखनवी

दिल को रह रह के ये अंदेशे डराने लग जाएँ

रेहाना रूही

तू कोई ख़्वाब नहीं जिस से किनारा कर लें

राना आमिर लियाक़त

आसाँ नहीं है जादा-ए-हैरत उबूरना

इफ़्तिख़ार फलक काज़मी

बहुत ताख़ीर से पाया है ख़ुद को

हुमैरा राहत

मैं आब-ए-इश्क़ में हल हो गई हूँ

हुमैरा राहत

सब्ज़-खेतों से उमड़ती रौशनी तस्वीर की

हम्माद नियाज़ी

जो काम करने हैं उस में न चाहिए ताख़ीर

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

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