मन Poetry (page 5)

तमाशा अहल-ए-मोहब्बत ये चार-सू करते

हाशिम रज़ा जलालपुरी

जब्र-ए-शही का सिर्फ़ बग़ावत इलाज है

हसन नईम

आँखों से टपके ओस तो जाँ में नमी रहे

हसन नईम

छटी है राह से गर्द-ए-मलाल मेरे लिए

हमदम कशमीरी

बे-सूद एक सिलसिला-ए-इम्तिहाँ न खोल

हकीम मंज़ूर

उन्नाब-ए-लब का अपने मज़ा कुछ न पूछिए

हैदर अली आतिश

ताज़ा हो दिमाग़ अपना तमन्ना है तो ये है

हैदर अली आतिश

नाज़-ओ-अदा है तुझ से दिल-आराम के लिए

हैदर अली आतिश

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

मिरे दिल को शौक़-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मिरे लब तक आती दुआ नहीं

हैदर अली आतिश

इंसाफ़ की तराज़ू में तौला अयाँ हुआ

हैदर अली आतिश

आरिफ़ है वो जो हुस्न का जूया जहाँ में है

हैदर अली आतिश

दिल को इसी सबब से है इज़्तिराब शायद

हफ़ीज़ जौनपुरी

अश्क-ए-ग़म उक़्दा-कुशा-ए-ख़लिश-ए-जाँ निकला

हादी मछलीशहरी

शराब पी जान तन में आई अलम से था दिल कबाब कैसा

हबीब मूसवी

मुझ को दिमाग़-ए-शेवन-ओ-आह-ओ-फ़ुग़ाँ नहीं

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

हुआ करे जो अँधेरा बहुत घनेरा है

ज्ञान चंद जैन

तकल्लुम जो कोई करता है फ़ानी

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

भूला है बा'द-ए-मर्ग मुझे दोस्त याँ तलक

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

अपना हर उज़्व चश्म-ए-बीना है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

उल्फ़त का दर्द-ए-ग़म का परस्तार कौन है

गोविन्द गुलशन

राज़-ए-दिल दोस्त को सुना बैठे

ग़ुलाम मौला क़लक़

मातम-ए-दीद है दीदार का ख़्वाहाँ होना

ग़ुलाम मौला क़लक़

तड़प उठी है किसी नगर में क़याम करने से रूह मेरी

ग़ुलाम हुसैन साजिद

नहीं है इस नींद के नगर में अभी किसी को दिमाग़ मेरा

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मता-ए-बर्ग-ओ-समर वही है शबाहत-ए-रंग-ओ-बू वही है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

यक़ीन जानिए इस में कोई करामत है

ग़ज़नफ़र

सामान-ए-ऐश सारा हमें यूँ तू दे गया

ग़ज़नफ़र

नींद उस की है दिमाग़ उस का है रातें उस की हैं

ग़ालिब

बुलबुल के कारोबार पे हैं ख़ंदा-हा-ए-गुल

ग़ालिब

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