दर्द Poetry (page 81)

हम कभी इश्क़ को वहशत नहीं बनने देते

अहमद नदीम क़ासमी

अंदाज़ हू-ब-हू तिरी आवाज़-ए-पा का था

अहमद नदीम क़ासमी

तुम आए हो तुम्हें भी आज़मा कर देख लेता हूँ

अहमद मुश्ताक़

थम गया दर्द उजाला हुआ तन्हाई में

अहमद मुश्ताक़

सफ़र नया था न कोई नया मुसाफ़िर था

अहमद मुश्ताक़

नाला-ए-ख़ूनीं से रौशन दर्द की रातें करो

अहमद मुश्ताक़

मुसलसल याद आती है चमक चश्म-ए-ग़ज़ालाँ की

अहमद मुश्ताक़

मोनिस-ए-दिल कोई नग़्मा कोई तहरीर नहीं

अहमद मुश्ताक़

मिल ही आते हैं उसे ऐसा भी क्या हो जाएगा

अहमद मुश्ताक़

किस शय पे यहाँ वक़्त का साया नहीं होता

अहमद मुश्ताक़

किस झुटपुटे के रंग उजालों में आ गए

अहमद मुश्ताक़

कहूँ किस से रात का माजरा नए मंज़रों पे निगाह थी

अहमद मुश्ताक़

हाथ से नापता हूँ दर्द की गहराई को

अहमद मुश्ताक़

दिलों की ओर धुआँ सा दिखाई देता है

अहमद मुश्ताक़

छट गया अब्र शफ़क़ खुल गई तारे निकले

अहमद मुश्ताक़

बरस कर खुल गया अब्र-ए-ख़िज़ाँ आहिस्ता आहिस्ता

अहमद मुश्ताक़

अजब नहीं कभी नग़्मा बने फ़ुग़ाँ मेरी

अहमद मुश्ताक़

अब न बहल सकेगा दिल अब न दिए जलाइए

अहमद मुश्ताक़

अब न बहल सकेगा दिल अब न दिए जलाइए

अहमद मुश्ताक़

ये जो धुआँ धुआँ सा है दश्त-ए-गुमाँ के आस-पास

अहमद महफ़ूज़

बदन-सराब न दरिया-ए-जाँ से मिलता है

अहमद महफ़ूज़

उन को में कर्बला के महीने में लाऊँगा

अहमद ख़याल

वो बुत परी है निकालें न बाल-ओ-पर ता'वीज़

अहमद हुसैन माइल

समझ के हूर बड़े नाज़ से लगाई चोट

अहमद हुसैन माइल

कोई हसीन है मुख़्तार-ए-कार-ख़ाना-ए-इश्क़

अहमद हुसैन माइल

हो गए मुज़्तर देखते ही वो हिलती ज़ुल्फ़ें फिरती नज़र हम

अहमद हुसैन माइल

शाम

अहमद हमेश

कुछ उस को याद करूँ उस का इंतिज़ार करूँ

अहमद हमदानी

गर्द कैसी है ये धुआँ सा क्या

अहमद हमदानी

जब से इक चाँद की चाहत में सितारा हुआ हूँ

अहमद फ़रीद

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