दर्द Poetry (page 83)

इश्क़ से भाग के जाया भी नहीं जा सकता

अहमद अता

कर के असीर-ए-ग़म्ज़ा-ओ-नाज़-ओ-अदा मुझे

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

ये कैसे बाल खोले आए क्यूँ सूरत बनी ग़म की

आग़ा शायर

रोने से जो भड़ास थी दिल की निकल गई

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

लाख लाख एहसान जिस ने दर्द पैदा कर दिया

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

तिरछी नज़र न हो तरफ़-ए-दिल तो क्या करूँ

आग़ा हज्जू शरफ़

तिरी हवस में जो दिल से पूछा निकल के घर से किधर को चलिए

आग़ा हज्जू शरफ़

तिरे वास्ते जान पे खेलेंगे हम ये समाई है दिल में ख़ुदा की क़सम

आग़ा हज्जू शरफ़

तेरे आलम का यार क्या कहना

आग़ा हज्जू शरफ़

सलफ़ से लोग उन पे मर रहे हैं हमेशा जानें लिया करेंगे

आग़ा हज्जू शरफ़

रुलवा के मुझ को यार गुनहगार कर नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

पुर-नूर जिस के हुस्न से मदफ़न था कौन था

आग़ा हज्जू शरफ़

इश्क़-ए-दहन में गुज़री है क्या कुछ न पूछिए

आग़ा हज्जू शरफ़

इलाही ख़ैर जो शर वाँ नहीं तो याँ भी नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

फ़स्ल-ए-गुल में है इरादा सू-ए-सहरा अपना

आग़ा हज्जू शरफ़

नौजवानी में अजब दिल की लगी होती है

अफ़ज़ल पेशावरी

लैला सर-ब-गरेबाँ है मजनूँ सा आशिक़-ए-ज़ार कहाँ

अफ़ज़ल परवेज़

ख़ुश-क़िस्मत हैं वो जो गाँव में लम्बी तान के सोते हैं

अफ़ज़ल परवेज़

जो दर्द-ए-दिल कहो आहिस्ता बोलो

अफ़ज़ल परवेज़

कर्ब के शहर से निकले तो ये मंज़र देखा

अफ़ज़ल मिनहास

आदमी ख़्वार भी होता है नहीं भी होता

अफ़ज़ल ख़ान

यादों के नशेमन को जलाया तो नहीं है

अफ़ज़ल इलाहाबादी

किसी की याद रुलाये तो क्या किया जाए

अफ़ज़ल इलाहाबादी

हर नग़मा-ए-पुर-दर्द हर इक साज़ से पहले

अफ़ज़ल इलाहाबादी

दवा-ए-दर्द-ए-ग़म-ओ-इज़्तिराब क्या देता

अफ़ज़ल इलाहाबादी

जंगल के पास एक औरत

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

पाता नहीं हूँ और किसी काम से लज़्ज़त

आफ़ताब शाह आलम सानी

कभी ख़ुद को दर्द-शनास करो कभी आओ ना

आफ़ताब इक़बाल शमीम

बात एक जैसी है हज्व या क़सीदा लिख

आफ़ताब इक़बाल शमीम

गए ज़मानों की दर्द कजलाई भूली बिसरी किताब पढ़ कर

आफ़ताब हुसैन

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