दवा Poetry (page 5)

हम झुकाते भी कहाँ सर को क़ज़ा से पहले

सलमा शाहीन

कहीं तुम अपनी क़िस्मत का लिखा तब्दील कर लेते

सलीम कौसर

तिरी तलाश में गुज़रे कई ज़माने मुझे

सलीम काशीर

राह में कोई खड़ा हो जैसे

शख़ावत शमीम

छुप छुप के अब न देख वफ़ा के मक़ाम से

सैफ़ुद्दीन सैफ़

ज़िंदगी हम से ख़फ़ा हो जैसे

साहिर होशियारपुरी

तुम्हारे ग़म को ग़म-ए-जाँ बना लिया मैं ने

सहर महमूद

दिल न माना मना के देख लिया

सदा अम्बालवी

नज़र से दूर हैं दिल से जुदा न हम हैं न तुम

साबिर ज़फ़र

वो इस अदा से दुआ करेगा

सबीला इनाम सिद्दीक़ी

वफ़ा का बंदा हूँ उल्फ़त का पासदार हूँ मैं

साइल देहलवी

किसी भी काम का मेरा हुनर नहीं न सही

रूही कंजाही

दर्द हो तो दवा करे कोई

रियाज़ ख़ैराबादी

ज़िद हमारी दुआ से होती है

रियाज़ ख़ैराबादी

सितम-ए-ना-रवा को रोते हैं

रियाज़ ख़ैराबादी

दर्द हो तो दवा करे कोई

रियाज़ ख़ैराबादी

दर्द हो तो दवा करे कोई

रियाज़ ख़ैराबादी

मेरे अफ़्कार ने जिस शय से जिला पाई है

रियासत अली ताज

सर-ए-राह इक हादिसा हो गया

ऋषि पटियालवी

ज़माने में वो मह-लक़ा एक है

रिन्द लखनवी

ऐसे बीमार की दवा क्या है

रिफ़अत ज़मानी बेगम इस्मत

वक़्त ख़ुश-ख़ुश काटने का मशवरा देते हुए

रियाज़ मजीद

उस चाँद को तुम दिल में छुपा क्यूँ नहीं लेते

रियाज़ हान्स

सुकूत-ए-शाम में गूँजी सदा उदासी की

रहमान फ़ारिस

तबीब देख के मुझ को दवा न कुछ बोला

रज़ा अज़ीमाबादी

नाज़ का मारा हुआ हूँ मैं अदा की सौगंद

रज़ा अज़ीमाबादी

मैं ही नहीं हूँ बरहम उस ज़ुल्फ़-ए-कज-अदा से

रज़ा अज़ीमाबादी

नुस्ख़े में तबीबों ने लिखा और ही कुछ है

रौनक़ टोंकवी

ज़िंदगी एहसान ही से मावरा थी मैं न था

रऊफ़ ख़ैर

घर से निकल के आए हैं बाज़ार के लिए

रसूल साक़ी

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