किसी भी काम का मेरा हुनर नहीं न सही

किसी भी काम का मेरा हुनर नहीं न सही

हवा-ए-दहर मुआफ़िक़ अगर नहीं न सही

कुआँ है और सभी नाक़िदान-ए-शेर-ओ-अदब

मिरे कलाम पे उन की नज़र नहीं न सही

ये तेरी बज़्म है याँ तेरा सिक्का चलता है

कोई भी बात मिरी मो'तबर नहीं न सही

यही बहुत है कि कुछ लोग सोचने तो लगे

कोई भी मेरा अगर हम नज़र नहीं न सही

हवा का क्या है हवा रुख़ बदलती रहती है

तिरी निगाह अगर आज इधर नहीं न सही

दिलों से उठने लगी हैं अजब अजब लहरें

किसी भी आँख में कोई ख़बर नहीं न सही

इलाज में तो न मैं कोई कसर छोड़ूँगा

किसी दवा में भी कोई असर नहीं न सही

शजर लगाए हैं मैं ने ये कम नहीं एज़ाज़

मिरे नसीब में 'रूही' समर नहीं न सही

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In Hindi By Famous Poet Roohi Kanjahi. is written by Roohi Kanjahi. Complete Poem in Hindi by Roohi Kanjahi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.