दीवाना Poetry (page 3)

बैठे रहेंगे थाम के कब तक यूँ ख़ाली पैमाने लोग

सय्यद शकील दस्नवी

जिस में इक सहरा था इक दीवाना था

स्वप्निल तिवारी

पदमनी

सुरूर जहानाबादी

बुलबुल ओ परवाना

सुरूर जहानाबादी

मेहर-ओ-माह भी लर्ज़ां हैं फ़ज़ा की बाँहों में

सुरूर बाराबंकवी

मिरा दिल आ गया झट-पट झपट में

सिराज औरंगाबादी

होश ओ ख़िरद से बेगाना बन जा

सिकंदर अली वज्द

हसीं यादों से ख़ल्वत अंजुमन है

सिकंदर अली वज्द

इस बज़्म में पाते नहीं दिल-सोज़ किसी को

शऊर बलगिरामी

आज देखा जो कोई शख़्स दीवाना मिरे दोस्त

शुजाअत इक़बाल

हुस्न जब क़ातिल न था और इश्क़ दीवाना न था

शोला हस्पानवी

चाहे दीवाना कहें या लोग सौदाई कहें

शिव रतन लाल बर्क़ पूंछवी

कोई कमर को तिरी कुछ जो हो कमर तो कहे

ज़ौक़

दूद-ए-दिल से है ये तारीकी मिरे ग़म-ख़ाना में

ज़ौक़

दिखला न ख़ाल-ए-नाफ़ तू ऐ गुल-बदन मुझे

ज़ौक़

बर्क़ मेरा आशियाँ कब का जला कर ले गई

ज़ौक़

छोड़ दूँ शहर तिरा छोड़ दूँ दुनिया तेरी

शाज़ तमकनत

बना हुस्न-ए-तकल्लुम हुस्न-ए-ज़न आहिस्ता आहिस्ता

शाज़ तमकनत

आबला-पाई से वीराना महक जाता है

शाज़ तमकनत

जो मस्त-ए-जाम-ए-बादा-ए-इरफ़ाँ न हो सका

शौक़ बहराइची

गिन के देता है बला-नोशों को पैमाना अभी

शौक़ बहराइची

सफ़र से मुझ को बद-दिल कर रहा था

शारिक़ कैफ़ी

जो उतरा फिर न उभरा कह रहा है

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

हिचकियाँ लेता हुआ दुनिया से दीवाना चला

शमीम तारिक़

सफ़ीना वो कभी शायान-ए-साहिल हो नहीं सकता

शमीम जयपुरी

जो हँस हँस के हर ग़म गवारा करे है

शमीम जयपुरी

इलाही काश ग़म-ए-इश्क़ काम कर जाए

शमीम जयपुरी

बे-गुनाही का हर एहसास मिटा दे कोई

शमीम जयपुरी

ज़िंदगी हँसती है सुब्ह-ओ-शाम तेरे शहर में

शमीम फ़तेहपुरी

दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ

शकील बदायुनी

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