दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ
छेड़ो न मुझे मैं कोई दीवाना नहीं हूँ
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कभी यक-ब-यक तवज्जोह कभी दफ़अतन तग़ाफ़ुल
बेकार गई आड़ तिरे पर्दा-ए-दर की
मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत के मज़े पैहम
क़स्र वीरान हुआ जाता है
इहानत-ए-दिल-ए-सब्र-आज़मा नहीं करते
बदले बदले मिरे ग़म-ख़्वार नज़र आते हैं
दिल के बहलाने की तदबीर तो है
लम्हात-ए-याद-ए-यार को सर्फ़-ए-दुआ न कर
करने दो अगर क़त्ताल-ए-जहाँ तलवार की बातें करते हैं
ज़ौक़-ए-गुनाह ओ अज़्म-ए-पशेमाँ लिए हुए
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे
बदलती जा रही है दिल की दुनिया