फ़सीह अकमल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़सीह अकमल
नाम | फ़सीह अकमल |
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अंग्रेज़ी नाम | Fasih Akmal |
जन्म की तारीख | 1944 |
जन्म स्थान | Delhi |
उम्र भर मिलने नहीं देती हैं अब तो रंजिशें
सितारों की तरह अल्फ़ाज़ की ज़ौ बढ़ती जाती है
मुद्दआ इज़हार से खुलता नहीं है
किताबों से न दानिश की फ़रावानी से आया है
जिन्हें तारीख़ भी लिखते डरेगी
हर एक आँख में आँसू हर एक लब पे फ़ुग़ाँ
हमीं पे ख़त्म हैं जौर-ओ-सितम ज़माने के
हमारी फ़त्ह के अंदाज़ दुनिया से निराले हैं
बहुत सी बातें ज़बाँ से कही नहीं जातीं
अब किसी और का तुम ज़िक्र न करना मुझ से
ये वो सफ़र है जहाँ ख़ूँ-बहा ज़रूरी है
उस की दीवार पे मनक़ूश है वो हर्फ़-ए-वफ़ा
प्यार जादू है किसी दिल में उतर जाएगा
मुज़्तरिब दिल की कहानी और है
मुनव्वर जिस्म-ओ-जाँ होने लगे हैं
मुद्दत से वो ख़ुशबू-ए-हिना ही नहीं आई
लटकाई दीवार पे किस ने हातिम की तस्वीर
कुछ नया करने की ख़्वाहिश में पुराने हो गए
किताबों से न दानिश की फ़रावानी से आया है
किसी के सामने इस तरह सुर्ख़-रू होगी
जो तू नहीं है तो लगता है अब कि तू क्या है
जड़ों से सूखता तन्हा शजर है
ग़ुबार-ए-तंग-ज़ेहनी सूरत-ए-ख़ंजर निकलता है
देखिए हालात के जोगी का कब टूटे शराप
दे गया लिख कर वो बस इतना जुदा होते हुए
चश्म-ए-हैरत को तअल्लुक़ की फ़ज़ा तक ले गया