हर एक आँख में आँसू हर एक लब पे फ़ुग़ाँ
ये एक शोर-ए-क़यामत सा कू-ब-कू क्या है
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ये वो सफ़र है जहाँ ख़ूँ-बहा ज़रूरी है
देखिए हालात के जोगी का कब टूटे शराप
किसी के सामने इस तरह सुर्ख़-रू होगी
किताबों से न दानिश की फ़रावानी से आया है
मुद्दआ इज़हार से खुलता नहीं है
उस की दीवार पे मनक़ूश है वो हर्फ़-ए-वफ़ा
चश्म-ए-हैरत को तअल्लुक़ की फ़ज़ा तक ले गया
हमीं पे ख़त्म हैं जौर-ओ-सितम ज़माने के
हमारी फ़त्ह के अंदाज़ दुनिया से निराले हैं
मुज़्तरिब दिल की कहानी और है
दे गया लिख कर वो बस इतना जुदा होते हुए
अब किसी और का तुम ज़िक्र न करना मुझ से