जिन्हें तारीख़ भी लिखते डरेगी
वो हंगामे यहाँ होने लगे हैं
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Gulzar
Habib Jalib
Rahat Indori
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Love Poetry
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Sad Poetry
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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अब किसी और का तुम ज़िक्र न करना मुझ से
मुद्दआ इज़हार से खुलता नहीं है
लटकाई दीवार पे किस ने हातिम की तस्वीर
किताबों से न दानिश की फ़रावानी से आया है
उस की दीवार पे मनक़ूश है वो हर्फ़-ए-वफ़ा
कुछ नया करने की ख़्वाहिश में पुराने हो गए
उम्र भर मिलने नहीं देती हैं अब तो रंजिशें
बहुत सी बातें ज़बाँ से कही नहीं जातीं
जो तू नहीं है तो लगता है अब कि तू क्या है
प्यार जादू है किसी दिल में उतर जाएगा
मुनव्वर जिस्म-ओ-जाँ होने लगे हैं