बहुत सी बातें ज़बाँ से कही नहीं जातीं
सवाल कर के उसे देखना ज़रूरी है
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ग़ुबार-ए-तंग-ज़ेहनी सूरत-ए-ख़ंजर निकलता है
हर एक आँख में आँसू हर एक लब पे फ़ुग़ाँ
किताबों से न दानिश की फ़रावानी से आया है
कुछ नया करने की ख़्वाहिश में पुराने हो गए
उस की दीवार पे मनक़ूश है वो हर्फ़-ए-वफ़ा
देखिए हालात के जोगी का कब टूटे शराप
मुज़्तरिब दिल की कहानी और है
हमीं पे ख़त्म हैं जौर-ओ-सितम ज़माने के
जिन्हें तारीख़ भी लिखते डरेगी
हमारी फ़त्ह के अंदाज़ दुनिया से निराले हैं
ये वो सफ़र है जहाँ ख़ूँ-बहा ज़रूरी है